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देवोत्थान एकादशी कल, शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य

मुरादाबाद। कार्तिक मास की देव उठान एकादशी कल है। चार माह बाद देव जाग रहे हैं। इसके साथ ही चार माह से बंद वैवाहिक सहित सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। मगर देवोत्थान एकादशी के बाद एक फिर नौ दिन का...

देवोत्थान एकादशी कल, शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादWed, 06 Nov 2019 07:39 PM
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मुरादाबाद। कार्तिक मास की देव उठान एकादशी कल है। चार माह बाद देव जाग रहे हैं। इसके साथ ही चार माह से बंद वैवाहिक सहित सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। मगर देवोत्थान एकादशी के बाद एक फिर नौ दिन का इंतजार करना होगा। सूर्य वैवाहिक आयोजन 18 नवंबर से आरंभ होंगे। नवंबर और दिसंबर में मात्र चौदह दिन ही सहालग हैं। इसके बाद मलमास आरंभ होने के कारण एक बार फिर एक माह की प्रतिक्षा करनी पड़ेगी।

हरि ज्योतिष संस्थान लाइनपार के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह कल आठ नवंबर को है। इस दिन चार माह से बंद विवाह एवं शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। हालांकि कुछ लोग 9 और 12 को भी विवाह आयोजन करने की तैयारी में हैं। मगर देवोत्थान एकादशी के बाद सूर्य 17 नवंबर देव राशि परिवर्तित करेंगे। इसलिए 8 के बाद 18 नवंबर से 12 दिसंबर तक ही विवाह की तिथियां हैं। इनमें भी मात्र 14 ही मुहूर्त हैं। 13 दिसंबर से 13 जनवरी तक मलमास रहेगा। इनमें विवाह नहीं होंगे। 2020 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद ही विवाह आरंभ हो सकेंगे।

नवंबर में विवाह की तिथियां:- 19,21,22,28,29 और 30 हैं। दिसंबर में:- 1,5,6,7,10, 11 और 12 दिसंबर को ही विवाह के मुहूर्त हैं।

देवोत्थान एकादशी को पूजन का शुभ मुहूर्त:-

प्रात:काल:- 5:00 से7:34 अमृत बेला 9:00 बजे से 10:35 तक शुभ।

अपरान्ह:- 3:00 से 4:30 बजे तक शुभ।

व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त:- 5:46 बजे से 8:36 बजे तक प्रदोष काल शुभ।

शुभ दिन:-

इस दिन किया गया हर काम सफल और शुभ रहेगा। इसीलिए अधिकतर लोग शादी और मांगलिक कार्य करते हैं। जिन वर -वधु का लंबे समय से मुहूर्त न भी निकल रहा हो वह भी इस दिन शादी कर लेते हैं।

तुलसी विवाह का महत्व

देवोत्थान एकादशी को तुलसी विवाह का बहुत महत्व है। इस दिन तुलसी और सालिग्राम का विवाह कराया जाता है। तुलसी विष्णु प्रिय हैं। मान्यता है कि नारायण देव जागने पर सबसे पहलह प्रार्थना तुलसी की ही सुनते हैं। तुलसी विवाह का अर्थ है तुलसी के माध्यम से भगवान का आह्वान करना। जिन दंपत्तियों के कन्या न हो वह भी इस दिन तुलसी विवाह करा सकते हैं।

दिव्य तुलसी मंत्र:-

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरै:। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये। ऊं श्री तुलस्यै विझहे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

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