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सेहत के लिए खतरा बन रहा शहरों का मलबा

निर्माण और टूटफूट से निकला मलबा लोगों की सेहत के लिए खिलवाड़ बना है। मलबे से उड़ रही धूल ने सेहत के साथ नदी-तालाब की सेहत बिगाड़ी है। इसके लिए अभी से न चेते तो धूल बीमार करेगी। सरकार या निकाय को शहर...

सेहत के लिए खतरा बन रहा शहरों का मलबा
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादFri, 30 Aug 2019 10:45 AM
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निर्माण और टूटफूट से निकला मलबा लोगों की सेहत के लिए खिलवाड़ बना है। मलबे से उड़ रही धूल ने सेहत के साथ नदी-तालाब की सेहत बिगाड़ी है। इसके लिए अभी से न चेते तो धूल बीमार करेगी। सरकार या निकाय को शहर में ही मलबे का समाधान करना होगा। गुरुवार को निर्माण व विध्वंस(सी एंड डी) अपशिष्ट प्रबंधन पर विशेषज्ञ ने मलबे से खतरे और इससे निपटने के लिए जागरूकर रहकर सतर्क रहने की नसीहत दी।

मुरादाबाद में हुई छह अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 पर हुई कार्यशाला में मलबे के वेस्ट को सेहत के लिए खतरनाक माना गया तो उससे निपटने के उपायों पर गौर करने पर जोर दिया गया। कार्यशाला में आए कंपनी के सीईओ अरुण कुमार शर्मा ने मकानों के निर्माण व टूटफूट से निकलने वाला मलबे का निस्तारण हो। मलबे के वेस्ट को कूड़ा में न मिलाया जाएं बल्कि उसकी अलग जगह निश्चित हो। सरकार या नगर निगम इससे उपाय के लिए अपनी ओर से पहल करें। प्लांट लगाकर शहर से निकलने वाले मलबे का इस्तेमाल करें। उनका कहना था कि मलबे की चार प्रकार है। मिट्टी या रेत, कंक्रीट(पत्थर आदि), स्टील या लकड़ी और ईंट या प्लास्टर। सुझाव दिया कि मलबे को घरों से निकलने वाले कूड़े में न मिलाया जाएं। इससे कूड़ा या मलबे से कुछ हासिल नहीं होगा। मलबे को इधर-उधर फेंकने से पर्यावरणीय असंतुलन होता है। नदी-तालाब में अतिक्रमण होता है। उनका कहना है कि इस वेस्ट को दोबारा उपयोग के लिए बचाया जा सकता है। अभी तीन दिल्ली और गुड़गांव,अमदाबाद और गाजियाबाद में मलबे के लिए प्लांट लगे है। गाजियाबाद में स्क्रीनिंग यूनिट में मलबे का 70 प्रतिशत इस्तेमाल हो रहा है। कार्यशाला में वॉयस ऑफ वेस्ट की प्रोग्राम आफीसर कुमारी रेचल एन कर ने प्लास्टिक वेस्ट को पर्यावरण के लिए खतरनाक माना। बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न हो। प्लास्टिक का निस्तारण जरूरी है। पन्नी में गरम चाय कैंसर जैसे बीमारियों को न्योता देती है। पॉलीथिन के अन्य नुकसान नाले-नाले चोक और जल जमाव में होने वाली डेंगू जैसी बीमारियां पैदा होती है।

मुरादाबाद में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के इंजीनियर जितेन्द्र नाथ तिवारी ने फैक्ट्रियों से निकलने वाले खतरनाक रसायनिक पदार्थो से आगाह किया। उनका कहना था कि केमीकल वेस्ट भी पर्यावरण के लिए खतरनाक है। कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय उत्पाकता परिषद, कानपुर ने किया। परिषद के क्षेत्रीय निदेशक रामेश्वर दुबे ने बताया कि उनका मकसद लोगों में अपशिषट के प्रति जागरूक करना है।

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