होलिका दहन के साथ उड़ा अबीर-गुलाल, झूमे लोग
Moradabad News - मुरादाबाद में भद्रा समाप्त होते ही होलिका दहन हुआ। लोग रंग-बिरंगे अबीर गुलाल से खेलते रहे। ढोल और माइक से होली के गीत गूंजते रहे। कुछ लोगों ने भद्रा के कारण रात में पूजन किया। होली के उत्सव में बच्चे...

भद्रा का समय समाप्त होते ही शहर भर में प्रमुख लोगों और ब्राह्मणों होलिका का दहन किया। होलिका दहन के साथ ही अबीर गुलाल की बौछार होने लगी। आसमान पूरी तरह रंगीन हो गया। लोगों ने होली पर गन्ने और गेहूं की बालियां भूनीं और एक दूसरे के गुलाल लगाया। इस दौरान कई स्थानों पर माइक से होली के गीत गूंजते रहे। ढोल बजते रहे और युवा झूमते नजर आए। बाद लोग होली की आग घर लाए और घर की होली भी प्रज्ज्वलित की। यहां भी गन्ने आदि भूने गए। इसके साथ ही होली का उल्लास आरंभ हो गया। फल्गुन पूर्णिमा पर गुरुवार को भद्रा का साया रहा। यह रात 10 बजकर 44 मिनट पर समाप्त हुआ। हालांकि होली दहन का शुभ समय 11 बजकर 26 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक बताया गया। मगर लोगों ने भद्रा समाप्त होते ही होली दहन शुरू कर दिया। कांशीराम नगर वैदिक रीति और पर्यावरण संरक्षण के लिए औषधीय पदार्थों की सामग्री बनाकर वेद मंत्रों के साथ आहुतियां देकर होलिका का दहन किया। बुद्धि विहार, रामगंगा विहार, आशियाना नवीन नगर, अंबेडकर पार्क पीएसी रोड, मोरा की मिलक, पंचशील अपार्टमेंट हिमगिरि कालोनी वेव ग्रीन आदि क्षेत्रों में गाय के गोबर की लकड़ियों की होलिका का दहन किया। जबकि बड़ी संख्या में होलिका के रूप में लकड़ियां जलाई गईं। इसके साथ ही होली के हुर्रियारे गूंजने लगे। हर तरफ होली का उल्लास छा गया। देर रात तक यही होली का हुड़दंग होता रहा। जबकि लाइनपार, दस सराय, जयंती पुर और सीतापुरी तथा पीतल नगरी में होलिका का दहन और भी देर से यानि देर रात 2 और 3 बजे किया गया।
भद्रा के कारण पूजन में हुई देरी
मुरादाबाद। होलिका दहन से पहले होली के पूजन की परंपरा है। होली को गुझिया और पूरी सहित अन्य पकवान का भोग लगाया जाता है तथा गुलाल लगाकर होली की शुरूआत की जाती है। मगर गुरुवार को भद्रा के कारण कुछ ही लोगों ने दिन भी पूजन किया। काफी संख्या में लोगों ने रात में भद्रा समाप्त होने के बाद ही पूजन किया। जिससे होलिका दहन में देरी भी हुई।
डीजे बजाने की होड़
मुरादाबाद। अधिकांश स्थानों पर होली दिन में ही रख दी गई थी। इसीलिए लोगों को अधिक समय मिल गया। उन्होंने होलिका दहन के पास दूर तक सजावट कराई। भूड़ों की पुलिया सहित शहर में कई स्थानों पर बड़े बड़े डीजे लगाए गए। जिनसे सायं से होली गीत गूंजते रहे। यहां दो डीजों में एक-दूसरे से तेज बजाने की होड़ सी लगी रही। इसके साथ युवा मतवालों की तरह नृत्य करते रहे। यह सिलसिला सायं से ही शुरू हो गया।
बच्चों को पहनाई गई मेवे की माला
मुरादाबाद। मान्यता है कि भक्त प्रहलाद होलिका के साथ होली में बैठते समय माला पहने थे। इसीलिए होलिका दहन के समय बच्चों को मेवे की माला पहनाई जाती है। बाजार में गुरुवार को एक माला सौ रुपये की बिकती रही। मेवे के हिसाब से इसकी कीमत बढ़ती रही। जिनके घर बच्चे बड़े हो गए है वह माला के स्थान पर होली पर गोला आदि भून कर औपचारिता पूरी कर लेते हैं।
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