हमउम्र वृद्धाओं के बीच पहुंचकर मुस्कुराईं भगवती
कोरोना महामारी ने कामगारों का काम छीन लिया है। तमाम बेआसरा बुजुर्गों के सामने देह की कमजोरी के चलते खाने-पीने के भी लाले हो गए हैं। ऐसी ही कहानी...
कोरोना महामारी ने कामगारों का काम छीन लिया है। तमाम बेआसरा बुजुर्गों के सामने देह की कमजोरी के चलते खाने-पीने के भी लाले हो गए हैं। ऐसी ही कहानी अस्सी साल की वृद्धा भगवती देवी की है। अरसे पहले पति साथ छोड़ गए। फिर बेटी भी बचपन में ही चल बसी। कुछ साल पहले मानसिक विक्षिप्त बेटा भी गुजर गया। 80 साल की भगवती देवी के जीवन में आने वाली इन तमाम पीड़ाओं के बावजूद जिंदगी से उनकी जंग जारी रही।
घरों में कामकाज करके इन परिवारों को ही अपना बनाकर जिंदगी गुजारती रहीं। परिवारों से भी स्नेह मिला। पर भगवती अब उम्र के चलते काम भी नहीं कर पाती। ऐसे में उनके सामने जीवन जीने और खाने-पीने का संकट भी आन पड़ा। महिला समाजसेवी शीतल चावला व ऊषा ढल ने बुजुर्ग महिला के दर्द की कहानी युवा समाजसेवी अनुपेंद्र सिंह को बताई। बुजुर्ग भगवती ने महिला वृद्धाश्रम में अपनी हमउम्र महिलाओं के बीच जाने की इच्छा जताई। भगवती देवी की कोविड जांच में दीक्षांत चौधरी ने सहयोग किया। इसके बाद आखिरकार, सोमवार को उन्हें मिलन विहार के महिला वृद्धाश्रम ने अपने यहां स्थान दे दिया। बुजुर्ग भगवती देवी ने कहा कि मैने जहां-जहां काम किया। सबसे प्यार मिला। अब उम्र के इस पड़ाव में केवल अपनी हमउम्र महिलाओं के बीच भगवान का नाम लेने की इच्छा है। मेरी यह इच्छा पूरी हो गई। सहयोग करने वाले सभी लोगों के साथ वृद्धाश्रम का आभार व्यक्त किया।