इंजेक्शन की कालाबाजारी में दो आरोपियों की जमानत खारिज
कोरोना संक्रमण से रक्षक इंजेक्शन की कालाबाजारी में गिरफ्तार आरोपियों को जेल में रहना होगा। मुरादाबाद की अदालत ने आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर...
कोरोना संक्रमण से रक्षक इंजेक्शन की कालाबाजारी में गिरफ्तार आरोपियों को जेल में रहना होगा। मुरादाबाद की अदालत ने आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने अभियुक्तों के अपराध को जन स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर अपराध मानते हुए प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया।
आरोपी कामरान व पीयूष ने जमानत अर्जी दाखिल की। एडीजे-7 रणजीत कुमार की अदालत में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष ने इन लोगों को झूठा फंसाने की बात कहते हुए रिहाई की मांग की। मगर अभियोजन पक्ष ने एतराज जताया। विशेष लोक अभियोजक वैभव अग्रवाल ने कहा कि अभियुक्तों का अपराध जन स्वास्थ्य से जुड़ा और गंभीर है। कोरोना काल में मरीज की मौत दवाएं न मिलने से हो रही थी। ऐसे में ये लोग जीवन रक्षक दवाओं को ब्लैक में बेच रहे थे। इनका जमानत प्रार्थना पत्र खारिज करने योग्य है। विशेष लोक अभियोजक का कहना है कि पक्ष सुनने के बाद अदालत ने जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का अपराध मानते हुए आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दिया।
यह था मामला
कोरोना काल के चरम में मरीजों को बचाने में सहायक रेमडेसिविर इंजेक्शन व टेबिफ्लू दवा को महंगे दामों पर बेचा जा रहा था। पुलिस प्रशासन ने सूचना के आधार पर कोविड अस्पतालों से जुड़े नर्सिेंग स्टाफ के चार युवकों को रंगे हाथ पकड़ा। 28 अप्रैल को मझोला के प्रभारी निरीक्षक मुकेश कुमार शुक्ला व टीम को सूचना मिली थी कि कोरोना संक्रमण से संबंधित रेमडेसिविर इंजेक्शन व दवाओं की कालाबाजारी हो रही है। जीवन रक्षक दवाओ को महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। पुलिस टीम ने चारों को पकड़ लिया। इनमें कामरान व पीयूष कोविड अस्पताल ब्राइट स्टार, सद्दाम कॉसमॉस व चौथा जीवन अस्पतपाल से संबद्ध है। पुलिस को तलाशी में जेबों से संक्रमण से बचाव के इंजेक्शन,सीरिंज व दवाएं मिली। आरोप है कि अस्पतालों को मिले इंजेक्शन व दवाएं चुराकर उन्हें 20-25 हजार रुपये में बेचते।