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व्यथा : सभी अपने बिछुड़े, अकेली रह गई एड्स पीड़ित बेटी

एड्स की भयावह बीमारी किस तरह से परिवार की खुशियां छीनकर उसे कभी खत्म नहीं होने वाले दर्द के रास्ते पर धकेल देती है। महानगर में रहने वाली 12 साल की बेटी इसका उदाहरण बनकर सामने आई। एड्स की रोगी ये...

व्यथा : सभी अपने बिछुड़े, अकेली रह गई एड्स पीड़ित बेटी
हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादSun, 29 Dec 2019 12:41 PM
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एड्स की भयावह बीमारी किस तरह से परिवार की खुशियां छीनकर उसे कभी खत्म नहीं होने वाले दर्द के रास्ते पर धकेल देती है। महानगर में रहने वाली 12 साल की बेटी इसका उदाहरण बनकर सामने आई। एड्स की रोगी ये बेटी जिला अस्पताल स्थित एंटी रेटरोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर पर अपनी दवा लेने के लिए अकेली पहुंची तो सेंटर पर कार्यरत स्टाफ की आंखों में आंसू छलक पड़े। उसका हालचाल पूछने पर सबका मन भर आया।

एड्स से पीड़ित बारह साल की ये बेटी कई महीनों से दवा लेने अपने भाई के साथ अस्पताल आती थी। उसके माता-पिता एड्स से पीड़ित थे। पहले पिता का और फिर मां का साया उसके सिर से उठ गया था। उसका भाई भी एड्स पीड़ित था। वह अपनी बहन के साथ देवा लेने अस्पताल आता था। मगर कुछ हफ्ते पहले उसका भाई भी इस भयावह बीमारी की वजह से चल बसा। एड्स से जूझने के लिए अब बेटी अकेली रह गई। पिछले महीने इस बेटी को उसके घर के पास रहने वाले बुजुर्ग दवा दिलाने पहुंचे। बेटी उस बुजुर्ग को बाबा कहकर बुला रही थी। मगर इस बार बाबा उसके साथ नहीं आ सके तो बेटी अपनी दवा लेने अकेली ही पहुंच गई। एड्स पीड़ित मासूम बच्ची को अकेले देख और उसके हालात महसूस करके एआरटी के स्टाफ का कलेजा दहल उठा। गरीब परिवार की इस बच्ची को भयंकर ठंड से बचाने के लिए तत्काल उसे गर्म कपड़े देने का भी इरादा जाहिर किया।

इलाज को बढ़ते जा रहे एड्स पीड़ित परिवार

जिला अस्पताल स्थित एंटी रेटरोवायरल ट्रीटमेंट सेंटर पर काउंसलर रत्नेश शर्मा ने बताया कि एड्स की खतरनाक बीमारी अब परिवारों को अपने आगोश में ले रही है। सेंटर पर एक ही परिवार के कई लोगों का एड्स का इलाज शुरू किया गया है। माता पिता के एड्स से पीड़ित होने पर उनके बच्चों को यह बीमारी होने की पूरी संभावना होती है। इस तरह के केस घटाने और रोकने के लिए ही सभी गर्भवती महिलाओं में एचआईवी एड्स की जांच सुनिश्चित कराने पर जोर दिया जा रहा है। अब स्वास्थ्य उप केंद्रों पर भी यह सुविधा शुरू की जा रही है।

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