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मैया के दर्शन के बाद कदंब वृक्ष पर झुकाते हैं माथा

चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले...

चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले...
1/ 3चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले...
चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले...
2/ 3चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले...
चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले...
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हिन्दुस्तान टीम,मुरादाबादMon, 02 Apr 2018 07:40 PM
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चैती मेला परिसर में सोमवार को भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की पूजा-अर्चना करने पहुंचे। मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले रही।

उत्तर भारत के प्रसिद्ध उज्जैनी शक्तिपीठ मां बाल सुंदरी देवी को समर्पित चैती मेला अपने में ऐतिहासिक आख्यानों को समेटे हुए है। 400 साल पुराने इस मेले में मां बाल सुंदरी देवी के दर्शन का बहुत महत्व है। मंदिर परिसर के पास ही कदंब का एक वृद्ध है। कहा जाता है कि यह वृक्ष पांच सौ साल पुराना है। आधा तना जला होने व अंदर से खोखला होने के बावजूद वृक्ष हराभरा है। यही वजह है कि भक्त इस कदंब के पेड़ पर मत्था टेकने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी विकास अग्निहोत्री कहते हैं कि इस पेड़ को लेकर पंडा परिवार की एक कहानी जुड़ी हुई है। सैकड़ों साल पहले एक पंडा मंदिर में मां काली की आराधना कर रहे थे। इसी बीच एक व्यक्ति मंदिर में पहुंचा और पंडा से पूछा कि इस मंदिर में ऐसी कौन सी शक्ति है, जो आप लोग रातदिन पूजा में लगे रहते हैं। यह सुनते ही पंडा ने मंदिर के सामने लगे कदंब के वृक्ष की ओर देखा तो वह जल उठा। उस व्यक्ति को शक्ति का आभास हो गया। कहा जाता है कि चाहे जितना भी आंधी तूफान आए बिना सहारे से खड़ा यह वृक्ष कभी झुकता नहीं है। इसी कारण लोग मां बाल सुरंदी देवी के दर्शन के बाद कदंब के वृक्ष पर माथा टेकते हैं। सोमवार को भी भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर में देवी की पूजा-अर्चना करने के बाद कदंब के वृक्ष पर माथा टेका व प्रसाद चढ़ाया।

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