गोरखगिरि मेला को शुरू कराने की भक्तों ने उठाई मांग
महोबा, संवाददाता। श्रावण अमावस्या पर भक्तों ने गोरखगिरि की परिक्रमा लगाते हुए परिवार कीसे यहां मेला लगता था जो बाद में बंद हो गया। बताया कि...
महोबा, संवाददाता। श्रावण अमावस्या पर भक्तों ने गोरखगिरि की परिक्रमा लगाते हुए परिवार की खुशहाली की कामना की है। प्रशासन से ऐतिहासिक गोरखगिरि मेले को दोबारा से शुरु कराने की मांग उठाई है।
वीर भूमि में कजली महोत्सव वीरता की याद में आयोजित होता है। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकार ने बताया कि सन 1182 में रक्षाबंधन के अगले दिन कीरत सागर के तट पर दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान की सेना को हराने के बाद चंदेल राजा परमाल की पत्नी मल्हना और बेटी चंद्रावल पूजा करने के लिए शिवतांडव मंदिर पहुंची थी तभी से यहां मेला लगता था जो बाद में बंद हो गया। बताया कि गोरखगिरि पर्वत श्रंखलाओं में वनवास काल के समय भगवान श्रीराम माता जानकी और लक्ष्मण जी के साथ कुछ समय के लिए रुके थे जिससे यह धरा पावन हो गई है। गुरु गोरखनाथ ने यहां तपस्या कर पर्वत श्रंखलाओं को तेज दिया है। परिक्रमा लगाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। कहा कि परिक्रमा मार्ग में नियमित सफाई कराई जाए। पांच किमी लंबे मार्ग में सफाई व्यवस्था के साथ मार्ग प्रकाश व्यवस्था और पौधरोपण कराया जाए। परिक्रमा शिवतांडव से महावीरन, पठवा के बाल हनुमान, संकरे सन्या, छोटी चंद्रिका,नागौरिया मंदिर से होते हुए शिव तांडव में पूर्ण हुई। रिमझिम बारिश के बीच परिक्रमा में चल रहे भक्त बम-बम भोले और जय श्रीराम के उद्घोष के साथ चल रहे थे। दिलीप जैन, प्रवीण, जागेश्वर चौरसिया, रामकिशन सेन, प्रहलाद पुरवार, सिद्धे, गया प्रसाद, संतोष द्विवेदी, नरेंद्र मिश्रा, नीरज पुरवार सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।
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