खून से खत लिखकर बुंदेलखण्ड राज्य की मांग
पृथक बुंदेलखण्ड की मांग को लेकर बुंदेलों ने खून से खत लिखकर फिर अपनी आवाज बुलंद की। काले कपड़े पहनकर बुंदेलों ने काला दिवस मनाकर विरोध जताया। कहा कि पृथक बुंदेलखण्ड के बिना क्षेत्र का विकास नही संभव...
पृथक बुंदेलखण्ड की मांग को लेकर बुंदेलों ने खून से खत लिखकर फिर अपनी आवाज बुलंद की। काले कपड़े पहनकर बुंदेलों ने काला दिवस मनाकर विरोध जताया। कहा कि पृथक बुंदेलखण्ड के बिना क्षेत्र का विकास नही संभव नहीं है।
रविवार को पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत बुंदेली समाज ने आल्हा चौक पर काला दिवस मनाते हुए खून से खत लिखकर पृथक राज्य की मांग को बुलंद किया। बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकार ने कहा कि एक नवम्बर को देश के मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, केरल जैसे राज्यों का स्थापना दिवस है। मगर बुंदेलखण्ड के लिए यह काला दिवस है। एक नवम्बर 1956 को जब मध्य-प्रदेश का गठन हुआ तब बुंदेलखण्ड को उत्तर-प्रदेश और मध्य-प्रदेश में बांटकर भारत के मानचित्र से मिटा दिया गया। तब से बुंदेलखण्ड दोनेां राज्यों के बीच पिस रहा है। बुंदेली समाज के महामंत्री डॉ. अजय बरसैया ने कहा कि लंबे समय से बुंदेले पृथक बुंदेलखण्ड की मांग कर रहे हैं। अबतक 9 बार खून से खत लिखकर मांग की गई है। लेकिन पृथक राज्य की मांग अबतक पूरी नहीं हुई।