पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र की तबीयत बिगड़ी, भर्ती
Mirzapur News - मिर्जापुर के पंडित छन्नूलाल मिश्र की तबियत खराब हो गई थी, लेकिन डॉक्टरों की टीम के इलाज और संगीत की मदद से उनकी सेहत में सुधार आया। डॉक्टर संजीव सिंह ने अपने वाद्ययंत्र से भजन गाकर उन्हें मुस्कुराने...

मिर्जापुर, संवाददाता। उपशास्त्रीय गायन में गिरिजा देवी की श्रेणी के अंतिम गायक पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र गंभीर रूप से अस्वस्थ हो गए हैं। मिर्जापुर के महंत शिवाला क्षेत्र स्थित आवास पर बुधवार देर रात उनका स्वास्थ अचानक बिगड़ गया। मिर्जापुर के चिकित्सकों ने सही समय पर उपचार करके उनके बिगड़ते स्वास्थ को संभाले लेकिन देरशाम उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया। हीमोग्लोबीन की कमी दूर करने को उन्हें खून चढ़ाया जा रहा है। उनकी बेटी नम्रता मिश्र की सूचना पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजीव कुमार सिंह अपनी 15 सदस्यीय टीम के साथ उनके आवास पर पहुंचे। उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
इस दल में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पंकज पांडेय, डॉ. सचिन किशोर और डॉ. दुर्गेश सिंह भी शामिल रहे। चिकित्सक दल ने खून की कुछ जांच तत्काल की। अन्य जांचों के लिए खून और मूत्र के नमूने लिए गए। जीवन रक्षक औषधियों के प्रभाव से फिलहाल उनकी सेहत में कुछ सुधार हुआ है। डॉक्टरों के अनुसार शुगर लेवल बढ़ने से उन्हें कई दिक्कतें एक साथ हो गई थीं। दवा से बढ़कर राग : संगीत ने पंडित छन्नू लाल मिश्र के चेहरे पर लौटाई मुस्कान वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। मिर्जापुर में पंडित छन्नू लाल मिश्र के आवास पर गुरुवार को जो दृश्य दिखा उसने साबित कर दिया कि इलाज सिर्फ दवा से नहीं, बल्कि मन के संबल और संगीत से भी होता है। डॉ. संजीव सिंह इलाज करने पहुंचे थे, मगर कुछ ही देर में वहां सेवा और सुरों का अनोखा संगम देखने को मिला। पंडित छन्नू लाल मिश्र की तबियत खराब है। मां विंध्यवासिनी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ. संजीव सिंह मेडिकल टीम के साथ उनके घर इलाज के लिए गए थे। मेडिकल टीम जब उनके घर पहुंची तो माहौल गंभीर था। डॉक्टरों की टीम कभी नाड़ी चेक कर रही थी तो कोई बीपी। इलाज के बाद जब डॉ. संजीव ने छन्नू लाल मिश्र को अपना परिचय दिए तो वो नहीं पहचान पाए। इसके बाद डॉक्टर संजीव सिंह ने वाद्ययंत्र उठाया और स्वर छेड़ दिए। कमरे का सन्नाटा टूटा और भजन की लय गूंजी। “सीता राम सीता राम सीता राम कहिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।जिंदगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के, झोपड़ी में राखे चाहे महलों में वास दे... स्वर की यह धारा सुनते ही पंडित छन्नू लाल मिश्र मुस्कुरा उठे। उनका चेहरा खिल गया और आवाज़ मिलाकर गाने लगे। कमरे में मौजूद शिष्य भावुक हो गए। उस पल लगा जैसे बीमारी, थकान और उम्र सब पीछे छूट गए हों। स्वर सम्राट के चेहरे की चमक बता रही थी कि संगीत ही सबसे बड़ी दवा है। हमार चेहरा याद आइल की ना? भजन समाप्त होने के बाद डॉक्टर संजीव ने मुस्कुराकर पंडित जी से कहा हमार चेहरा याद आइल की ना? हमको पहचाने आप? बीएचयू का प्रोफेसर आपके घर पर आया था एक बार, मैं वही हूं। छोटी गैबी में आपके आवास पर बैठकी हुई थी दो घंटे। यही भजन मैं आपको सुनाया था। याद आइल की नहीं? पंडित जी ने हंसते हुए सिर हिलाया और कहा- हां…फिर अचानक ठहाका गूंजा और पूरा कमरा उस हंसी से भर गया। यह दृश्य वहां मौजूद हर व्यक्ति को बता गया कि असली इलाज दवा से नहीं, बल्कि अपनापन और संगीत से होता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




