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ढूंड्ढा, लाई-पट्टी के साथ मनाई गई खिचड़ी

जिले में आस्था, विश्वास और उत्साह के साथ मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया गया। श्रद्धावानों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगा मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। काला तिल मिश्रित चावल, तिलकूट, ढूंड्ढा आदि...

जिले में आस्था, विश्वास और उत्साह के साथ मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया गया। श्रद्धावानों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगा मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। काला तिल मिश्रित चावल, तिलकूट, ढूंड्ढा आदि...
1/ 2जिले में आस्था, विश्वास और उत्साह के साथ मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया गया। श्रद्धावानों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगा मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। काला तिल मिश्रित चावल, तिलकूट, ढूंड्ढा आदि...
जिले में आस्था, विश्वास और उत्साह के साथ मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया गया। श्रद्धावानों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगा मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। काला तिल मिश्रित चावल, तिलकूट, ढूंड्ढा आदि...
2/ 2जिले में आस्था, विश्वास और उत्साह के साथ मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया गया। श्रद्धावानों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगा मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। काला तिल मिश्रित चावल, तिलकूट, ढूंड्ढा आदि...
हिन्दुस्तान टीम,मिर्जापुरThu, 16 Jan 2020 12:37 AM
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जिले में आस्था, विश्वास और उत्साह के साथ मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया गया। श्रद्धावानों ने पवित्र गंगा में डुबकी लगा मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। काला तिल मिश्रित चावल, तिलकूट, ढूंड्ढा आदि पुरोहितों, गरीबों में दान कर पुण्य का लाभ कमाया। बच्चे खिचड़ी के अवसर पर जमकर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया। जिले ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों ने मकर संक्रांति उत्साह एवं परंपरागत रूप से मनाया गया। शास्त्रों के अनुसार छह महीने बाद सूर्यदेव मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण होते हैं।मान्यता है कि मकर संक्रांति के बाद खरमास की समप्ति होती है और शुभ विवाह आदि मांगलिक कार्य का शुभारंभ हो जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मकर संक्रांति की उदया तिथि पर भोर से ही नगर के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं के स्नान करने का सिलसिला शुरु हो गया था। नगर के बरियाघाट, कचहरी घाट, संकठाघाट, पक्केघाट, नारघाट, सुंदरघाट, बाबा घाट पर स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची। कोहरा के बावजूद आस्था के आगे ठंड नतमस्तक रहा। गंगा में डुबकी लगाने के बाद भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित किया। गंगा घाटों पर गरीबों की भीड़ रही। स्नानार्थी महिलाएं गरीबों को खिचड़ी दान में दिया। बच्चे भी दान करने में पीछे नहीं रहे। उदया तिथि से खिचड़ी का मान होने की वजह से लोगों ने घर पहुंच कर उड़द की दाल,हरी सब्जी मिश्रित लजिज खिचड़ी बना कर ग्रहण किए। खिचड़ी के दिन कालीदाल की खिचड़ी ग्रहण करने और गरीबों में बांटने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा और संगम स्नान करने से काफी पुण्य मिलता है। वहीं नये चावल, काली दाल की खिचड़ी बना कर ग्रहण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पड़री संवाद के अनुसार मां चण्डिका धाम में खिचड़ी, मकरसंक्रांति पर्व पर गंगा स्नान व माता का दर्शन पूजन करने के लिए मेला लगा रहा। दूर दराजों से आये विधि विधान से गंगा स्नान कर माँ चण्डिका का दर्शन पूजन किया। स्नान-दान पूजन पाठ करने बाद लोगों ने नौका बिहार लुत्फ उठाया और गुड़की जलेबी,आलूदम स्वाद लिया। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस चौंकस व्यवस्था रही। हालांकि यहां मंगलवार को भी लोगों ने स्नान कर दानपुण्य किए थे। जिगना संवाद के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व पर हरगढ़ के विमलेश्वर महादेव मंदिर, भिलगौर के शिवाला घाट, गोगांव ग्राम के पश्चिम वाहिंनी, नीबी गहरवार ग्राम के बंगला घाट, बीजर गंगाघाट पर गंगा के पवित्र जल में श्रद्धालुओं ने गोता लगाया। नीबी गहरवार, चेहरा ग्राम में परम्परागत मेले में आस-पास गांवों की महिलाओं की भीड़ उमड़ी। चुनार संवाद के अनुसार बालू घाट पर मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। गंगा स्नान कर मंदिर में दर्शन-पूजन किया और गरीबों में अन्नदान कर पुण्य कमाया। क्षेत्र ही नहीं जिले के दूरदराज,सोनभद्र आदि जिले के श्रद्धालु भी अपने अपने वाहनों से पहुंचे। क्षेत्र के नरायनपुर, सीखड़, कछवां,चील्ह आदि स्थानों के गंगा घाटों पर मकर संक्रांति के स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। घाटों पर मेला जैसा दृश्य रहा।

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