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प्रदूषण-बीमारियों के विनाश को चतुर्वेद पारायण यज्ञ शुरू

आ वात वाहि भेषजं वि वात वाहि यद्रप:।त्वं हि विश्वभेषजो देवानां दूत ईयसे।।ऋग्वेद का यह श्लोक बताता है कि हे वायु! तू औषध को अपने साथ ला, हे वायु तू रक्त में जो मल है, उसे बाहर निकाल दे। तू निश्चय ही...

प्रदूषण-बीमारियों के विनाश को चतुर्वेद पारायण यज्ञ शुरू
हिन्दुस्तान टीम,मेरठMon, 06 Nov 2017 02:17 AM
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आ वात वाहि भेषजं वि वात वाहि यद्रप:।

त्वं हि विश्वभेषजो देवानां दूत ईयसे।।

ऋग्वेद का यह श्लोक बताता है कि हे वायु! तू औषध को अपने साथ ला, हे वायु तू रक्त में जो मल है, उसे बाहर निकाल दे। तू निश्चय ही सब रोगों की दवा है।

वेस्टर्न कचहरी रोड स्थित त्यागी हॉस्टल के कंपाउंड में रविवार सुबह आठ दिवसीय चतुर्वेद पारायण यज्ञ ऐसे ही वेदमंत्रों के गायन के साथ शुरू हुआ। सुबह-सवेरे कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, यज्ञ के ब्रह्म आचार्य अरिवंद शास्त्री और आयोजक वरिष्ठ होम्योपैथ डॉ. अनिल कुमार ने ओम की पताका फहराई। ओउम् का झंडारोहरण किया गया। कंपाउंड में कुल 11 वेदियों का निर्माण किया गया है। इसमें एक त्रिकोण वेदी रोगों के निवारण को मंत्रोच्चार के साथ आहुति देने के लिए बनाई गई है। वेद मर्मज्ञ आचार्य अरविंद शास्त्री बतौर ब्रह्मा विराजमान हुए। सांसद राजेंद्र अग्रवाल और कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल ने त्रिकोण और चतुष्कोण दोनों वेदियों में आहुति प्रदान की।

हर कोण से वैज्ञानिक है यज्ञ

चतुर्वेद पारायण यज्ञ में बनाई गई वेदियों, उनके बीच की दूरी, यज्ञ सामग्री, समिधा (यज्ञ में उपयोग की लाने वाली लकड़ियों) आदि के पीछे यज्ञ के ब्रह्मा और आयोजकों के तर्क हैं। चतुर्वेद पारायण यज्ञ में कुल 11 वेदियों में 5 ज्ञानेंद्रियां, 5 कर्मेंद्रियों और एक मन को इंगित करती है। ब्रह्म और यज्ञमानों के बैठने के स्थान व दिशा के पीछे पूर्णतया विज्ञान है। कुल आठ दिन के यज्ञ में 15 कुंतल सामग्री और 60 कनस्तर देसी गाय का घी उपयोग होगा।

इन औषधियों का हो रहा उपयोग

चतुर्वेद पारायण यज्ञ में मेवे, पांच प्रकार के अन्न जिनमें जौ, काले तिल, उड़द, शक्कर, चावल, पांच प्रकार मेवे जिनमें बादाम, छुआरे अखरोट, किशमिश, काजू की आहुति भी दी। पीपल, आम, गुल्लर, बरगद, कैर, जांड, बेल, ढाक के वृक्षों की समिधा (यज्ञ में उपयोग की जाने वाली लकड़ियां) ही प्रयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही नाग केसर, तेज पत्र, देवदारू, बांसा, गौरख मुंडी, तगर, कूट आदि दुर्लभ औषधियां भी यज्ञ में प्रयोग की जा रही हैं।

यज्ञ में मुख्य ब्रह्मा आचार्य अरविंद शास्त्री के साथ विजयपाल शास्त्री, रोहित शास्त्री, अंकुर भारद्वाज, ब्रह्मचारी ऋषि और 14 ब्रह्मचारी वेद की ऋचाओं का पाठ कर रहे हैं। चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अर्थववेद चारों वेदों के मंत्रों का उच्चारण किया गया।

त्रिकोण वेदी में आहुति देने उमड़े लोग

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनिल ने बताया कि चतुर्वेद पारायण यज्ञ में बनाई गई त्रकोण वेदी में आहुति देने के लिए विभिन्न रोगों से ग्रसित लोग काफी संख्या में आए। इनमें टांसिल, शुगर, लीवर, चर्मरोग, फेफड़ों और गुर्दों की बीमारी से जूझ रहे लोग भी शामिल थे। शुगर से पीड़ित लोगों को जामुन की गुठली, करेले का डंठल, गुड़माक, आंवला आदि औषधियों को आहुति देसी गाय के घी के साथ दिलाई गई।

कई बार हुआ रिसर्च

आचार्य अरिवंद शास्त्री ने बताया कि यज्ञ के वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कई बार रिसर्च किया जा चुका है। इसमें कई बार बहुत चौंकाने वाले लेकिन सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। रिसर्च के कुछ बिंदुओं के अनुसार यज्ञ से पहले 100 मिग्रा. पानी में 4500 जीवाणु थे, जो यज्ञ के बाद घटकर मात्र 1200 रह गए। यज्ञ से पहले हवा में सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा 3.36 माइक्रोग्राम थी, जो बाद में 0.8 रह गई। नाइट्रेट ऑक्साइड 60 माइक्रोग्राम थी, जो बाद में 1.20 माइक्रोग्राम रह गई।

यज्ञ पर अनुसंधान कर रहा नासा

अमेरिका की सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष एजेंसी नासा यज्ञ के बाद वायुमंडलों पर पड़ने वाले बदलावों पर रिसर्च कर रहा है, जिसके शुरुआती रुझान बहुत सकारात्मक मिले हैं। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि दुखद यह है कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे देश यज्ञ और वैदिक संस्कृति की ओर बढ़े हैं, लेकिन भारत में पिज्जा-बर्गर संस्कृति तेजी से पांव पसार रही है। जब तक कोई दूसरा देश हमारी संस्कृति की प्रशंसा ना कर दे, तब तक भारत के लोग उसे संदेह की दृष्टि से देखते हैं।

भारत के ऊपर की ओजोन परत सबसे सुरक्षित

आचार्य अरविंद शास्त्री बताते हैं कि जर्मनी की एक एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत के ऊपर की ओजोन परत सबसे सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि संस्थागत स्तर पर हमारे प्रयास तब तक ज्यादा सफल नहीं हो सकते जब तक नागरिकों की व्यक्तिगत रुचि यज्ञ में ना हो। यज्ञ से जल, वायु, ध्वनि के साथ ही वैचारिक प्रदूषण भी खत्म होता है।

ये रहे मौजूद

यज्ञ में सुशील गुप्ता, संजीवेश्वर त्यागी, महेंद्र सिंह त्यागी, अमन गुप्ता, विवेक कुमार, टेकचंद चौहान मानवेंद्र, प्रवीण गौतम, संदीप त्यागी, विकास शर्मा, अभिषेक त्यागी सहित काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आहुति दी।

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