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हिन्दुस्तान में 30 प्रतिशत लोगों को टीबी का इंफेक्शन तो हैं लेकिन इनको टीबी की बीमारी नहीं है

टीबी का इलाज खून की पॉजिटिव जांच रिपोर्ट के आधार पर नहीं करना चाहिए है। मलगम की जांच, जीन एक्सपर्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने टीबी का इलाज करना चाहिए। टीबी का इंफेक्शन दो तरह होता है। एक इंफेक्शन छिपा हुआ...

हिन्दुस्तान में 30  प्रतिशत लोगों को टीबी का इंफेक्शन तो हैं लेकिन इनको टीबी की बीमारी नहीं है
हिन्दुस्तान टीम,मेरठSat, 17 Nov 2018 01:49 AM
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टीबी का इलाज खून की पॉजिटिव जांच रिपोर्ट के आधार पर नहीं करना चाहिए है। मलगम की जांच, जीन एक्सपर्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने टीबी का इलाज करना चाहिए। टीबी का इंफेक्शन दो तरह होता है। एक इंफेक्शन छिपा हुआ होता जब बाकी ब्लड टेस्ट होते हैं तो वह छिपे हुए इंफेक्शन को पता करते हैं इसका इलाज करने की जरुरत नहीं होती है। इलाज जब ही करते हैं जब टीबी इसके लक्षण आ रहे होते हैं। हिन्दुस्तान में 30 प्रतिशत लोगों को टीबी का इंफेक्शन तो हैं लेकिन इनको टीबी की बीमारी नहीं है। कुछ मरीजों में खून की जांच में टीबी का इंफेक्शन आने पर ही इलाज शुरु कर दिया जाता हैं तो गलत है। जब लक्षण आते हैं जैसे जब मरीज को खांसी हो लंग्स की टीबी और इसकी मलगम की जांच पॉजिटिव हो तो ऐसे मरीजों का इलाज जल्द से जल्द शुरु कर देना चाहिए ताकि इंफेक्शन का संक्रमण अन्य लोगों ना फैले। जब तक हम इस तरह के लोगों का इलाज नहीं करेंगे हम टीबी को कंट्रोल नहीं कर पाएगे। यह जानकारी एम्स के डॉ. पंकज जोरवाल ने शुक्रवार को एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में यूपी-पीजी के स्टूडेंटस को ट्रेनिंग वर्कशॉप में दी।

टीबी मरीजों को नहीं छिपाए

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरके ऐरन ने बताया कि अब जो टीबी के मरीजों का इलाज करता है इसकी जानकारी जिला ऑर्थाटी को इसकी सूचना दे। चेतना प्रॉजेक्ट की वाइस प्रेसिडेंट डॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि टीबी को लेकर जिले में जनजागरुकता अभियान चल रहा है। डॉ. हरवंश चोपड़ा ने क्वीज कराई। टीबी से संबंधित सवाल-जबाव हुए। डॉ. चोपड़ा ने बताया टीबी जब ही होती जब शरीर की रोक प्रतिरोधक क्षमता कम हो। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह कुपोषण, शुगर, एचआईवी का इंफेक्शन हो। इन तीनों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और टीबी का इंफेक्शन बीमारी बन जाता है। अगर सौ लोगों को टीबी का इंफेक्शन हैं तो इसमें दस को ही टीबी की बीमारी होगी। टीबी के लिए जो खून के जांचें होती हैं तो इन सिरोजिकल टेस्ट को डब्लूएचओ नहीं मानता है।

टीबी का इलाज हुआ आसान

अब टीबी सेंटर पर इलाज के लिए जाने की जरुरत नहीं है। अब टीम घर-घर जाकर ऐसे लोगों की तलाश रहे हैं जिनको दो सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार, बलगम में खून तो नहीं आ रहा हैं। अब टीबी की सारी जांचे, इलाज और दवाएं भी निशुल्क उपलब्ध है। अब टीबी के मरीजों का कुपोषण कम करने के लिए हर महीने प्रोत्साहन राशि दे रही है।

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