बात-व्यवहार में बदलाव दिखे तो बच्चा मनोरोग का है शिकार
Meerut News - बच्चों में गुस्सा, पढ़ाई में मन न लगना मनोरोग के लक्षण हो सकते हैं। एकल परिवार और ऑनलाइन गेम की लत के कारण बच्चे समाज से दूर हो रहे हैं। माता-पिता को बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देने और काउंसलिंग...
बच्चा जरा-जरा सी बात पर गुस्सा करता है, पढ़ाई और काम में उसका मन नहीं लगाता है तो सावधान होने की जरूरत है। बच्चे के व्यवहार में यह बदलाव मनोरोग के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर काउंसलर की मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। मनोरोग चिकित्सकों की मानें तो एकल परिवार, ऑनलाइन गेम की लत, माता पिता के बच्चे को समय न देने के कारण बच्चे समाज और पारिवार से दूर होते जा रहे हैं। उनका अधिकतर समय अकेले मोबाइल में बीतता है। ऐसे बच्चे ऑनलाइन गेम व सोशल मीडिया की आभासी दुनिया को ही वास्तविक मान बैठते हैं। लाइक और कमेंट को ही वह सफलता का पैमाना मानते हैं। कम लाइक, कमेंट आने पर उदास और चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे में वह मनोरोग का शिकार होकर अपना या किसी का भी नुकसान कर बैठता है।
अभिभावक को शुरू से ध्यान देने की जरूरत
पहले माता-पिता नहीं मानते उनके बच्चे को ऑनलाइन गेमिंग की लत लग चुकी है। बच्चा भी नहीं मानता है कि वह ऐसा करता है। जब बच्चे को इसकी आदत लग जाती है और वह पढ़ाई में पिछड़ने लगता है, तब इसका पता चलता है। उस समय माता-पिता बच्चे की आदत छुड़वाने के लिए काउंसिलिंग कराना चाहते हैं तो बच्चा गुस्सा करने लगता है। -डॉ. रवि राणा, मनोरोग विशेषज्ञ
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माता-पिता बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें
ऑनलाइन गेम खेलने की आदत 10 साल के बच्चों से लेकर 17 साल तक के किशोरों में ज्यादा पाई जा रही है। इस लत को छुड़ाने के लिए हर दिन दो से तीन बच्चे व किशोर काउंसिलिंग के लिए आ रहे हैं। माता-पिता को बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल का समय तय करना चाहिए। -डॉ. तरुण पाल, विभागाध्यक्ष मनोरोग विभाग, मेडिकल
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