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रेलवे अधिकारी की फटकार से कोमा में ट्रैक मैन

रेलवे अधकारी के दफ्तर में चार्जशीट का जवाब लेकर पहुंचे ट्रैक मैन को अधिकारी ने इतनी लताड़ लगाई कि वह बेहोश होकर गिर गया। टैक मैन को पानी पीलाकर होश लाने का प्रयास किया गया कि लेकिन उसकी हालत और...

रेलवे अधिकारी की फटकार से कोमा में ट्रैक मैन
हिन्दुस्तान टीम,मेरठThu, 22 Nov 2018 01:59 AM
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रेलवे अधकारी के दफ्तर में चार्जशीट का जवाब लेकर पहुंचे ट्रैक मैन को अधिकारी ने इतनी लताड़ लगाई कि वह बेहोश होकर गिर गया। टैक मैन को पानी पीलाकर होश लाने का प्रयास किया गया कि लेकिन उसकी हालत और चिंताजनक होती गई। ऐसे में अधिकारी के पैरों तले से जमीन खिसकने लगी। तभी स्टाफ को बुलाया। ट्रैक मैन को आनन-फानन में रेलवे के हॉस्पिटल लेकर गए, लेकिन हालत गंभीर होने बाद ट्रेक मैन को आनंद में भर्ती कराया गया। आईसीयू में उसकी हालत चिंताजनक बनी है। मामले को लेकर उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के लोगों ने विरोध शुरु कर दिया।

कंकरखेडा के डाबका में रहने वाला हरदेश रेलवे सिटी स्टेशन पर ट्रैकमैन है। कुछ दिन पहले स्टेशन पर पीडब्ल्यू आई के एसएसई जीसी बंसल द्वारा समय से काम न करने पर चार्जशीट दी गई थी। ट्रैकमैन बुधवार को चार्जशीट का जवाब देने के लिए जीसी बंसल के दफ्तर में पहुंचा। आरोप है कि अधिकारी ने टैक मैन को गाली-गलौज करते हुए इतनी लताड लगाई कि वह डिप्रेशन में आ गया और बेहोश होकर गिर गया। अधिकारी ने पहले पानी पिलाकर ट्रैकमैन को होश में लाने का प्रयास किया, लेकिन जब होस नहीं आया तो उसके पैरो तले की जमीन खिसक गई। ऐसे में स्टाफ को बुलाया गया। स्टाफ ने ट्रैक मैन को आनन-फानन में सिटी स्टेशन के पास रेलवे के हॉस्पिटल लेकर गए। ट्रैकमैन की गंभीर हालत देखते हुए उसे आनंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां पर आईसीयू में उसकी हालत काफी चिंताजनक बनी हुई है। घटना के बाद उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के लोगों का गुस्सा भड़क गया। स्टेशन पर यूनियन के लोग एकत्रित हो गए और अधिकारी का जमकर विरोध किया। यूनियन के लोगों का कहना है कि अधिकारी ने जिस तरह का बरताव कर्मचारी के साथ किया है। उसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ट्रैकमैन के हित में न्यायिक लड़ाई लड़ने को तैयार है।

ट्रैक से हटाकर गेटमैन की ड्यूटी पर लगाया

यूनियन के लोगों का कहना है कि दस दिन पहले मेरठ सिटी और कैंट स्टेशन के बीच एक घंटे का ब्लॉक लेकर काम किया गया। जबकि इस काम में दस मिनट ज्यादा लग गए थे। ऐसे में जीसी बंसल ने ट्रैक मैन को लताड़ लगाते हुए चार्जशीट दी थी। बाद में उसे मेरठ सिटी और कैंट के बीच फाटक संख्या 28 पर तैनात कर दिया गया। जबकि ट्रैकमैन को गेट मैन की ट्रेनिंग भी नहीं ली। ऐसे में कोई भी बड़ा हादसा हो सकता था, जबरन ड्यूटी लगाने का गेटमैन ने विरोध किया तो अधिकारी खरीखोटी सुनाई।

एक तो अधिकारी ने अनजान ट्रैकमैन की ड्यूटी गेट पर लगा दी। ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा। चार्जशीट का जवाब देने गया तो उसे ऐसे फटकार लगाई कि वह डिप्रेशन में आ गया। ये बहुत गलत है हम उसके न्यायिक हक के लिए संघर्ष करेंगे। गुरजीत सिंह, सैकेट्री उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन

मैं इस मामले में कुछ नहीं बोल सकता, क्योंकि मैं अधिकृत नहीं हूं। मैं नियमों के खिलाफ नहीं जा सकता। जीसी बंसल, एसएसई पीडब्ल्यूआई

काम को लेकर ट्रैकमैन में बढ़ रहा तनाव

उत्तर रेलवे के ट्रैकर्मन काम को लेकर काफी तनाव में है। अधिकतर ट्रैकमैन अपने काम को लेकर काफी चिंतित है। ऐसे में वह दूसरे काम का तरह-तरह के विकल्प ढूंढने में लगे है। इसमें अधिकतर अपनी ड्यूटी अधिकारियों के दफ्तर या फिर उनके घरों का काम करना पसंद कर रहे है। गेट मैन को आठ घंटे तक ट्रैक पर मेहनत करनी होती है। इससे काम से बचने के लिए तरह-तरह के विकल्प ढंढने में लगे है।

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