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90 रुपये में तीन घंटे ड्यूटी, शिक्षक तैयार नहीं

मुख्‍य परीक्षाओं में तीन घंटे की ड्यूटी और एक घंटा अलग से। कुल चार घंटे लगाने के बाद शिक्षक को मिलेंगे 90 रुपये। यह हाल तो विश्‍वविद्यालय की परीक्षाओं में ड्यूटी देने वाले शिक्षकों का। यूपी बोर्ड के...

90 रुपये में तीन घंटे ड्यूटी, शिक्षक तैयार नहीं
हिन्दुस्तान टीम,मेरठThu, 08 Feb 2018 02:40 AM
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मुख्य परीक्षाओं में तीन घंटे की ड्यूटी और एक घंटा अलग से। कुल चार घंटे लगाने के बाद शिक्षक को मिलेंगे 90 रुपये। यह हाल तो विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में ड्यूटी देने वाले शिक्षकों का। यूपी बोर्ड के शिक्षकों की हालत और खराब है। तीन घंटे के पेपर और एक घंटे व्यवस्था में देने में शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा में मिलेंगे मात्र 36 रुपये। दो पालियों में ड्यूटी देने के बाद शिक्षकों के हाथ से दिन पूरा निकल जाएगा और हाथ में कुछ नहीं होगा। पारिश्रमिक से आहत शिक्षक ड्यूटी देने को तैयार नहीं और कॉलेज परेशान।

बोर्ड परीक्षा हो या फिर विश्वविद्यालय के पेपर। सबमें कक्ष निरीक्षकों से लेकर अन्य कार्यों की ड्यूटी में शिक्षकों को टोटा है। 27 फरवरी से चौ.चरण सिंह यूनिवर्सिटी की मुख्य परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं, लेकिन कॉलेजों में शिक्षक ड्यूटी देने को तैयार नहीं। शिक्षकों का तर्क है कि ड्यूटी देने को जो पारिश्रमिक दिया जा रहा है वह बेहद कम है। एक पाली में ड्यूटी और व्यवस्था में शिक्षक को 90 रुपये मिलते हैं एवं आने-जाने में खर्च इससे ज्यादा। बोर्ड परीक्षा में भी यही स्थिति है। कक्ष निरीक्षक को तीन घंटे के पेपर में 36 रुपये दिए जाएंगे। दिनभर में दोनों पालियों में पेपर कराने पर शिक्षक को 72 रुपये मिलेंगे जबकि निजी वाहन या किराए से आने वाले शिक्षकों का खर्च इससे ज्यादा का है। यही वजह है कि शिक्षक ड्यूटी देने को तैयार नहीं हैं और विश्वविद्यालय से लेकर बोर्ड परीक्षाएं कक्ष निरीक्षकों की कमी से जूझ रही हैं। बोर्ड परीक्षा में शिक्षक मेडिकल देते हुए छुट्टी पर जा रहे हैं। इस वक्त 15 शिक्षकों की कमी है।

विश्वविद्यालय बनाम यूपी बोर्ड

प्रदेशभर में विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा में कक्ष निरीक्षक को 90 रुपये, वरिष्ठ केंद्राध्यक्ष को 105 रुपये, सहायक केंद्राध्यक्ष को सौ रुपये और आंतरिक उडन दस्ते को सौ रुपये प्रति पाली मिलेंगे। चौ.चरण सिंह यूनिवर्सिटी अपनी तरफ से 60 रुपये कन्वेंस एलाउंस अलग से देती है। यूनिवर्सिटी में यूजी छात्रों की एक कॉपी जांचने को 15 रुपये और पीजी में 18 रुपये मिलते हैं। यूपी बोर्ड में कक्ष निरीक्षक को 36 रुपये, केंद्राध्यक्ष को 60 रुपये जबकि दसवीं की कॉपी चेक करने के आठ और 12 वीं के लिए दस रुपये मिलते हैं। खास बात यह है कि जो शिक्षक इन परीक्षा या मूल्यांकन में ड्यूटी देते हैं उनकी सेलरी 40 हजार से लेकर पौने दो लाख रुपये तक है। ऐसे में एक दिन की ड्यूटी से मिलने वाले पारिश्रमिक को बेहद कम मानते हैं।

दस साल से कोई बदलाव नहीं

विश्वविद्यालयों में दस साल से परीक्षा और मूल्यांकन कार्यों के पारिश्रमिक की दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। शिक्षकों के अनुसार सीबीएसई अपने शिक्षक को एक कॉपी जांचने के 50 रुपये देती है और विवि 15-18 रुपये। तीन-तीन पालियों में परीक्षा होती है। आखिर पूरा दिन ड्यूटी देने के बाद भी शिक्षक को कुछ नहीं मिलता।

एक पाली की ड्यूटी, मनरेगा से भी कम

मनरेगा में सरकार एक व्यक्ति को 175 रुपये प्रतिदिन देती है जबकि शिक्षक को एक पाली में पारिश्रमिक 90 रुपये है। शिक्षकों के अनुसार आखिर वे कहां हैं। सरकार शिक्षकों की पारिश्रमिक दरें बढ़ाते हुए ऐसे स्तर पर लाए ताकि सभी ड्यूटी देने को तैयार हों।

प्रदेश स्तर पर मुद्दा उठाया, विवि भी सोचे

मूटा अध्यक्ष डॉ.विकास शर्मा के अनुसार ये दरें बेहद कम हैं। दस साल से कोई बदलाव नहीं हुआ। हाल ही में कानपुर में हुई फुपुक्टा की बैठक में उन्होंने यह मुद्दा उठाया। प्रदेश स्तर पर फुपुक्टा प्रदेश सरकार से इसके बारे में बात कर रही है। फुपुक्टा ने इस मुद्दे को एजेंडे में तीसरे नंबर पर रखा है। लेकिन यूनिवर्सिटी कन्वेंस एलाउंस पर विचार करे। पारिश्रमिक दरें तय करना राज्य सरकार का अधिकार है, लेकिन कन्वेंस एलाउंस विवि बढ़ा सकता है। सीसीएसयू इस भत्ते को तीन गुणा बढ़ाए। उम्मीद है कि सरकार भी इसमें बदलाव करेगी।

विवि सरकार को भेजेगा प्रस्ताव

यूनिवर्सिटी शिक्षकों की पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग का प्रस्ताव शासन को भेज रहा है। कुलपति प्रो.एनके तनेजा ने प्राचार्यों की बैठक में इस मुद्दे पर सहयोग का आश्वासन देते हुए सरकार को भेजने की बात कही थी। कुलपति ने कहा कि वे यूनिवर्सिटी से प्रस्ताव तैयार कराते हुए इसे शासन को भेज देंगे। सरकार जो फैसला करेगी उस पर अमल होगा। यूनिवर्सिटी कन्वेंस एलाउंस पर भी विचार करेगी।

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