भगवान राम जैसा कोई भगवान नहीं, भारत जैसा कोई देश नहीं : रामभद्राचार्य
Meerut News - मेरठ के भामाशाह पार्क में स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत का अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने सुंदरकांड पाठ के महत्व पर जोर दिया और कहा कि भगवान राम का नाम लेकर किए गए...

मेरठ। मेरठ के भामाशाह पार्क में दिव्य ज्योति संस्थान के तत्वावधान में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के श्रीकंठ से कही जा रही रामकथा में मंगलवार को स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति को समझना है तो संस्कृत पढ़ना जरूरी है। मंगलवार शाम कथा स्थल पर पहुंचे जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि अपना घर अपना होता है। हम अपने घर में नमक रोटी खाकर भी स्वाभिमान से रह सकते हैं। संत प्रेमानंद महाराज पर उन्होंने कहा कि मुझ पर आरोप लग रह हैं कि मैं संतों की निंदा करता हूं। जिसमें दोष न हो उस पर दोष लगाया जाए तो उसे दोष और निंदा करना कहते हैं।
कुछ लोग इसे गलत तरह से ले रहे हैं। भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत को पढ़ना होगा। बिना संस्कृत भारत को जान भी नहीं सकते। उन्होंने कहा कि भगवान राम जैसा कोई भगवान नहीं और भारत जैसा कोई देश नहीं। भारत है, भारत था और आगे भी भारत रहेगा। मुझे अपनी संस्कृति और संस्कृत का स्वाभिमान है। मुझे अपनी विद्या या कोई अभिमान नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं भगवान राम का साधक हूं। घर-घर सुंदरकांड पाठ होना चाहिए कथा कहते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि सुंदरकांड पाठ का प्रचार प्रसार हो रहा है। यह अच्छा है, घर-घर सुंदरकांड का पाठ होना चाहिए। सुंदरकांड पाठ से कोई भी संकट आएगा नहीं। सूर्य-चंद्रमा एक ग्रह, नासा ने सिद्ध कर दिया स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि जो भगवान को निराकर कहते हैं, वह भ्रांति फैलाने का काम करते हैं। सूर्य की किरणों से ऊं की ध्वनि निकलती है। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों की मां है, गायत्री मंत्र ही तीनों लोक की रक्षा करता है। धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं भगवान उन्होंने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं और धर्म की रक्षा करते हैं। दुष्टों का नाश और धर्म की स्थापना करते हैं। दूसरे के लिए कर्म करते हुए जीने की इच्छा करो, कर्म प्रधान है। भगवान राम के नाम से पूरा हुआ था ऑपरेशन सिंदूर पहलगांव हमले पर उन्होंने कहा कि मई माह में यह घटना हुई थी, तभी भारत ने निर्णय लिया और बदला लिया। मात्र 23 मिनट में शत्रुओं के 11 एयरबेस और 6 विमानों को समाप्त किया। कहा कि जब यह घटना हुई उसके बाद थल सेना प्रमुख उनके पास आकर भगवान राम नाम मंत्र की दीक्षा लेकर गए और भगवान राम का नाम लेकर ऑपरेशन सिंदूर को पूरा किया। युद्ध के लिए जो ललकारेगा, हम उससे लड़ेंगे और जीतेंगे भी। कथा स्थल पर दूसरे दिन भी भरा पानी रामकथा में दूसरे दिन मंगलवार को भी जलभराव रहा। कथा में श्रोताओ की संख्या कम रही। आयोजक कथा के दौरान भी व्यवस्था बनाने में लगे रहे। मंच के आगे भरे पानी के चलते कई लोग गिरकर घायल हुए। आयोजकों का कहना था बुधवार को कथा स्थल पर पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा।
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