एसएमएस से मिलेगी गन्ना पर्ची, 40 टन बचेगा कागज
वेस्ट यूपी में अब गन्ना किसानों के मोबाइल पर एसएमसए के जरिए पर्ची पहुंचेगी। इससे करीब 40 टन कागज की बचत होगी। साथ ही, पर्ची की छपाई पर वहन होने वाला करीब चार करोड़ रुपये का खर्च भी...
वेस्ट यूपी में अब गन्ना किसानों के मोबाइल पर एसएमसए के जरिए पर्ची पहुंचेगी। इससे करीब 40 टन कागज की बचत होगी। साथ ही, पर्ची की छपाई पर वहन होने वाला करीब चार करोड़ रुपये का खर्च भी बचेगा।
मेरठ मंडल और सहारनपुर मंडल की मिलों में 37 लाख 58 हजार गन्ना आपूर्तिकर्ता किसान हैं। पहली बार किसान के मोबाइल नंबर पर मैसेज के जरिए पर्चियां जारी की जा रही हैं। इसके लिए गन्ना विभाग ने ईआरपी सिस्टम से सारी तैयारियां कर ली हैं। सभी किसानों के मोबाइल नंबरों को पोर्टल से कनेक्ट कर लिया है। पर्ची का मैसेज दिखाकर किसान गन्ना तौल कराएंगे। इस नई व्यवस्था से मैनुअल पर्ची में इस्तेमाल होने वाले करीब 40 मीट्रिक टन कागज की बचत होगी। साथ ही यह भी है कि पेराई सत्र में ए-4 साइज के कागज की जरूरत होने से महंगा कागज खरीदना पड़ता रहा है। इससे पर्ची के कागज से लेकर छपाई तक करीब चार करोड़ रुपये से अधिक का बजट बच जाएगा। इस धनराशि से दूसरे कार्य कराए जा सकेंगे।
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पर्ची खोने, फटने की नहीं चिंता
डिजिटल पर्ची से किसानों को काफी सहूलियत होगी। समिति या मिल से पर्ची जारी होने के बाद किसान तक पहुंचने में इसके खोने या फटने का झंझट खत्म हो जाएगा। साथ ही ई-गन्ना ऐप पर दो दिन पहले ही पर्ची जारी होने की जानकारी भी किसान को मिल जाएगी।
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वर्जन
इस बार सभी किसानों को एसएमएस के माध्यम से पर्ची जारी होगी। किसानों को लाभ देने के लिए ही यह व्यवस्था लागू की गई है। इससे किसानों की काफी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।
उप गन्ना आयुक्त, मेरठ मंडल, राजेश मिश्र