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पांडवानी से तीजनबाई ने सुनाई द्रौपदी की कहानी

पदमभूषण तीजनबाई ने गुरुवार को ब्रह्मपुरी स्थित चावली देवी आर्य कन्या इंटर कॉलेज में अपने विशिष्ट अंदाज से पंडवानी गायन से श्रोताओं का मन मोह...

पांडवानी से तीजनबाई ने सुनाई द्रौपदी की कहानी
हिन्दुस्तान टीम,मेरठFri, 15 Dec 2017 01:54 AM
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पद्मभूषण तीजनबाई ने गुरुवार को ब्रह्मपुरी स्थित चावली देवी आर्य कन्या इंटर कॉलेज में अपने विशिष्ट अंदाज से पंडवानी गायन से श्रोताओं का मन मोह लिया।

उन्होंने द्रौपदी की कहानी को पंडवानी शैली में ऐसे सुनाया कि लोग सुनते ही रह गए। इस दौरान काफी संख्या में संगीत प्रेमियों ने पंडवानी गायिकी का आनंद लिया। तीजन बाई के साथ हारमोनियम पर चैतराम, केवल देशमुख तबले पर, ढोलक पर नरोत्तम नेताराम, श्री डालेश्वर निर्मलकर, रामचंद्र निषाद डफली पर, खेमलाल नेताम आदि सहयोगी कलाकार रहे। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. नीलम ने तीजनबाई को सम्मान प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। भारत विकास परिषद की योग शाखा ने 21 छात्राओं को स्वेटर दिए। आखिर में प्रधानाचार्या ने सभी का स्वागत किया।

पांडवों की कथा है पंडवानी

पंडवानी छत्तीसगढ़ का वह एकल नाट्य है, जिसका अर्थ है पांडववाणी यानि महाभारत की कथा। ये कथाएं छत्तीसगढ़ की परधान तथा देवार छत्तीसगढ़ की जातियों की गायन परंपरा है। परधान गोंड की एक उपजाति है और देवार घुमन्तू जाति है। इन दोनों जातियों की बोली, वाद्यों में अन्तर है। परधान जाति के कथावाचक या वाचिका के हाथ में किंकनी होता है और देवारों के हाथों में रुख होता है। परधानों ने और देवारों ने पंडवानी लोक महाकाव्य को पूरे छत्तीसगढ़ में फैलाया। तीजन बाई ने पंडवानी को आज के संदर्भ में ख्याति दिलाई, न सिर्फ हमारे देश में, बल्कि विदेशों में।

बाबुल मोरा नैहर छूटों जाए

दीवान पब्लिक स्कूल प्रांगण में रविवार सुबह स्पिक मैके विरासत-2017 के तत्वावधान में पद्मभूषण डॉ. गिरिजादेवी देवी को समर्पित था। डॉ. गिरिजादेवी ने 2002 में अपनी शिष्याओं सुनंदा शर्मा और मालिनी अवस्थी साथ आई थीं। गुरुवार को स्व. गिरिजा देवी की शिष्या सुनंदा देवी ने ठुमरी, चैती और कजरी सुनाई। सुनंदा शर्मा ने बनारस घराने की शास्त्रीय संगीत की विधाओं को बच्चों को समझाया। सुबह की राग मियां की तोड़ी, जो कि तानसेन के नाम से भी जानी जाती हैं, जिसके बोल अब मोरी नैया पार करो रे। उन्होंने झूला धीरे से झुलाओ बनवारी अरे। कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों के साथ-साथ विद्यालय के कॉर्डिनेटर छात्र-छात्राएं और अध्यापक गण मौजूद रहे। प्रधानाचार्य एचएम राउत सभी कलाकारों को स्मृति चिह्न दिया।

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