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एमफिल एंट्रेंस पर संशय, स्टूडेंट भी परेशान

-नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्स को बंद किया, नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस डिग्री का कोई महत्व...

एमफिल एंट्रेंस पर संशय, स्टूडेंट भी परेशान
हिन्दुस्तान टीम,मेरठWed, 26 Aug 2020 11:52 AM
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नई शिक्षा नीति में एमफिल कोर्स बंद होने और केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा इसे लागू करने की तैयारियों के बीच चौ.चरण सिंह विवि के सत्र 2020-21 में छात्र संशय में फंसे हुए हैं। विवि ने नई शिक्षा नीति के क्रम में अगले सत्र में एमफिल कोर्स को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। छात्रों को डर है जब यह कोर्स बंद गया है और वे डिग्री पूरी करके निकलेंगे तो इसकी वैधता क्या होगी। छात्रों के अनुसार नई शिक्षा नीति जारी हो चुकी है, ऐसे में प्रस्तावित बदलाव आगामी सत्र से लागू होने हैं।

विवि कैंपस एवं संबद्ध कॉलेजों में 22 कोर्स में एमफिल कोर्स में प्रवेश होने हैं। विवि ऑनलाइन आवेदन ले चुका है। 1258 छात्रों ने एमफिल में प्रवेश को आवेदन किया है। जिस वक्त विवि ने एमफिल में आवेदन लिए, उस वक्त नई शिक्षा नीति जारी नहीं हुई थी। आवेदन पूरे होने के बाद शिक्षा नीति आई और इस कोर्स को बंद करने का प्रस्ताव रखा गया। इससे छात्र असमंजस में हैं कि वे क्या करें।

छात्र और शिक्षकों के ये हैं तर्क

मेरठ। छात्रों के अनुसार केंद्र सरकार नीति जारी कर चुकी है और राज्य सरकार ने इसे लागू करने को समिति बना दी है। यानी इस पर काम शुरू हो गया है। छात्रों के अनुसार जब एमफिल कोर्स बंद करने का प्रस्ताव है तो फिर नोटिफिकेशन के बाद इस कोर्स को करने का क्या फायदा। नोटिफिकेशन से पहले यानी सत्र 2019-20 तक प्रवेश ले चुके छात्र तो इसके दायरे में नहीं आएंगे, लेकिन आगे के सत्र की क्या गारंटी है। कैंपस के कुछ शिक्षक भी छात्रों की बात से सहमत हैं। शिक्षकों के अनुसार नोटिफिकेशन के बाद इस कोर्स में प्रवेश का कोई औचित्य नहीं बनता है। अब विवि ने आवेदन ले लिए हैं तो एंट्रेंस हो सकता है। लेकिन यह सवाल तो बना ही रहेगा कि नई शिक्षा नीति में एमफिल बंद करने के प्रस्ताव के बाद इसे क्यों कराया गया। हालांकि कैंपस में शिक्षकों को बड़ा वर्ग इस वर्ष एंट्रेंस कराने के पक्ष में है।

बदल जाएगा वर्कलोड

मेरठ। कैंपस में एमफिल बंद होने का असर शिक्षकों के वर्कलोड पर पड़ेगा। कई विभाग ऐसे हैं जहां एमफिल कोर्स बंद होने के बाद शिक्षकों के पास पढ़ाने के लिए पर्याप्त वर्कलोड नहीं बचेगा। अन्य कुछ विभागों में भी अभी कार्यरत शिक्षक मौजूदा कोर्स को पढ़ाने के लिए पर्याप्त होंगे। कैंपस से जुड़े शिक्षकों के अनुसार नई व्यवस्था के बाद विवि को शिक्षकों के रिक्त पदों को भी भरने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

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