स्क्रैप सेंटर बना नहीं, सड़कों पर दौड़ रहे कबाड़ वाहन
Meerut News - साल 2024 में भी मेरठ में स्क्रैप सेंटर नहीं बन सका है, जबकि स्क्रैप पॉलिसी लागू हो चुकी है। 10 साल पुराने पेट्रोल और 15 साल पुराने डीजल वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। वाहन...

साल 2024 बीतने जा रहा है लेकिन जिले में स्क्रैप सेंटर नहीं बन सका, जबकि स्क्रैप पॉलिसी लागू हो चुकी है। इस कारण अपनी उम्र पूरी कर चुके 10 साल पुराने पेट्रोल और 15 साल पुराने आउटडेटेड डीजल वाहन एनसीआर क्षेत्र में शामिल मेरठ की सड़कों पर दौड़ रहे हैं और प्रदूषण फैला रहे हैं। जनपद में एक लाख से अधिक पुराने पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। शहर में करीब हजारों ऐसे वाहन मालिक हैं, जिन्होंने वाहन पुराने होने पर विभाग से एनओसी ले ली। हालांकि ये वाहन भी एनसीआर क्षेत्र में चल रहे हैं। अधिकतर वाहन स्वामी अपने वाहन की उम्र पूरी होने पर उसे पड़ोस के जनपद बिजनौर में रजिस्टर्ड कराकर मेरठ में ही दौड़ा रहे हैं। जिले में भूड़बराल में बना स्क्रैप सेंटर अभी तक संचालित नहीं हो सका है। ऐसे में लोगों को अपने पुराने वाहन स्क्रैप में देने के लिए गाजियाबाद या बागपत जाना होगा। अधिकतर लोग दूरी की वजह से दूसरे जिले में नहीं जाना चाहते। ऐसे में वह पुराने वाहन को ही चला रहे हैं। आरटीओ के पास कबाड़ वाहनों को पकड़ने के बाद खड़ा करने के लिए कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है। ऐसे में वह युद्धस्तर पर पुराने वाहनों के खिलाफ अभियान नहीं चला पाता। पुलिस चेकिंग में ऐसे वाहनों को सीज करती है लेकिन उसकी चेकिंग भी अधिकतर हेलमेट और ड्राइविंग लाइसेंस की चेकिंग तक सीमित रहती है।
क्या है स्क्रैप पॉलिसी
स्क्रैप पॉलिसी के अनुसार, अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहन को वाहन स्वामी स्क्रैप सेंटर पर दे सकता है। वहां उसे वाहन की कीमत का मूल्य और एक सर्टिफिकेट दिया जाता है। सर्टिफिकेट दिखाकर एक साल के अंदर दूसरा वाहन खरीदने पर रजिस्ट्रेशन के समय टैक्स में 15 प्रतिशत की छूट मिलती है। वाहन यदि व्यावसायिक हो तो 10 प्रतिशत की छूट मिलती है।
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