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हाल ए कारोबार : प्रकाशन उद्योग पर लगे ताले, कारीगर-श्रमिक परेशान

कोरोना संक्रमण ने प्रकाशन उद्योग के साथ स्टेशनरी और काफी-किताब का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित किया है। सैकड़ों इकाइयों पर ताला लगा हुआ है। पिछले...

हाल ए कारोबार : प्रकाशन उद्योग पर लगे ताले, कारीगर-श्रमिक परेशान
हिन्दुस्तान टीम,मेरठFri, 04 Jun 2021 03:31 AM
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मेरठ। वरिष्ठ संवाददाता

कोरोना संक्रमण ने प्रकाशन उद्योग के साथ स्टेशनरी और काफी-किताब का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित किया है। सैकड़ों इकाइयों पर ताला लगा हुआ है। पिछले साल से अभी तक तमाम इकाइयों में काम बंद है। बड़ी संख्या में कारीगर, श्रमिक परेशान हैं। करीब दो हजार करोड़ का व्यापार प्रभावित हो चुका है। इंडस्ट्री के कारोबारियों का पिछले दो साल से 1500 करोड़ से अधिक का भुगतान अटका हुआ है। प्रकाशन उद्योग से जुड़ी पूरी चेन में व्यापारी, श्रमिक परेशान हैं।

स्कूल-कालेज बंद होने से किताबों व अन्य स्टेशनरी आदि की बिक्री नहीं हुई थी। दुकानें बंद होने से चूहों, दीमक, सीलन से तो नुकसान हुआ ही था, लेकिन शुरुआत में ऑर्डर पर जो किताबें व अन्य स्टेशनरी चली गई, वह भी वापस आ गई। कुछ का भुगतान अटक गया था जो अभी तक नहीं आया। कोरोना संक्रमण के कारण पाबंदियों के चलते पब्लिशर्स, प्रिंटर्स और बाइंडर्स के प्रतिष्ठानों पर ताले लगे हैं। कई प्रिंटर्स और बाइंडर्स ने किराए की दुकानें खाली नहीं कीं, बैंक का कर्ज चुकाने के लिए मशीनें भी बेच दी है।

जानकारों की मानें तो शहर में लगभग 85 प्रिंटर्स, एक सौ चिल्डर्न बुक पब्लिशर्स और 40 के करीब हायर एजूकेशन बुक पब्लिशर्स हैं। एक पब्लिशर का कई सौ करोड़ का सालाना निवेश होता है, जिसका रिटर्न उसे अगले वर्ष प्राप्त होता है। 2019 में व्यापार पूर्व की भांति चला, लेकिन 2020 में भुगतान के समय पाबंदियां लागू हो गईं। इस साल तो हालात और भी चिंताजनक हो गए हैं। बताते हैं कि ऑफसेट प्रिंटिंग मशीनों का औसत बिजली बिल हजारों में आता है। मशीनें बंद होने से कई कारोबारी बिल नहीं जमा कर पाए और कनेक्शन कट गए।

सरकार को 240 करोड़ राजस्व का घाटा

प्रिंटिंग में सर्वाधिक कागज का इस्तेमाल होता है। कॉपी किताबों पर जीएसटी नहीं है, लेकिन कागज पर टैक्स लगता है। ऐसे में मेरठ की पब्लिशिंग इंडस्ट्री सीधे-सीधे प्रतिवर्ष 240 करोड़ का जीएसटी सरकार को देती है। इस वर्ष कारोबार बंद होने के कारण टैक्स नहीं दिया गया है।

एसोसिएशन पदाधिकारी बोले ...

बैंकों का ब्याज माफ करे सरकार

प्रदेश सरकार को सर्वाधिक टैक्स देने वाली पब्लिशिंग इंडस्ट्री को राहत देने के लिए सरकार को बैंक ब्याज माफ करना चाहिए। आगे भी उद्योग चलाने के लिए धनराशि की जरूरत पड़ेगी - पंकज कुमार जैन, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ चिल्डर्न बुक पब्लिशर्स

प्रकाशन उद्योग की बड़ी क्षति

कोरोना संक्रमण के चलते प्रकाशन उद्योग को बड़ा नुकसान हुआ है। कोरोना की दूसरी लहर ने अधिक नुकसान किया। ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्रकाशन उद्योग के कारोबारियों, व्यापारियों को आर्थिक मदद विशेष पैकेज के जरिए दें।

- मोहित जैन, नगीन प्रकाशन

प्रकाशन व अन्य उद्योगों को बड़ा नुकसान

कोरोना की पहली लहर में हुए नुकसान की अभी तक भरपाई नहीं हो पाई थी कि कोरोना की दूसरी लहर ने अधिक चोट दी। व्यापारी, कारोबार नुकसान से संभल नहीं पा रहे। केंद्र और प्रदेश सरकार उद्यमियों और व्यापारियों की विशेष मदद करे।

- राजकुमार शर्मा, जिलाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

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