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रैपिड रेल आधुनिक सिग्नल तकनीक से दौड़ेगी

दिल्ली-मेरठ के बीच देश में चलने वाली पहली रैपिड रेल एकदम आधुनिक होगी। एनसीआरटीसी ने इस दिशा पर काम शुरू कर दिया है। ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड (एटीओ) से ट्रेन का संचालन होगा। गति निर्धारण,दरवाजों का...

रैपिड रेल आधुनिक सिग्नल तकनीक से दौड़ेगी
हिन्दुस्तान टीम,मेरठWed, 20 May 2020 02:02 AM
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दिल्ली-मेरठ के बीच देश में चलने वाली पहली रैपिड रेल एकदम आधुनिक होगी। एनसीआरटीसी ने इस दिशा पर काम शुरू कर दिया है। ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड (एटीओ) से ट्रेन का संचालन होगा। गति निर्धारण, दरवाजों का खुलना और बंद होना सब कुछ ऑटोमेटिक होगा। अलग-अलग कॉरिडोर पर जाने के लिए ट्रेन बदलने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-गाजियाबाद- मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के सिग्नलिंग और टेलीकॉम सिस्टम के लिए वैश्विक बोलियां आमंत्रित की हैं।

गाजियाबाद में रैपिड रेल का काम चल रहा है। साहिबाबाद से दुहाई तक 17 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर चार स्टेशन बनाए जाने हैं। इन सभी के डिजाइन तैयार हो गए हैं। मेरठ रोड पर गाजियाबाद स्टेशन बनाने का काम चल रहा है। 17 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर वर्ष 2023 तक पूरा होने का दावा किया जा रहा है। वर्ष 2025 तक दुहाई से आगे मेरठ तक का काम पूरा होगा। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) की डिजाइन गति 180 किमी प्रति घंटा है, जबकि परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा होगी।

एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुधीर शर्मा ने बताया कि देश में अत्याधुनिक सिग्नलिंग तकनीक का उपयोग करने वाला पहला हाई-स्पीड सिस्टम होगा। इसके लिए वैश्विक बोलियां आमंत्रित की गई हैं। इसका सिग्नलिंग सिस्टम कंप्यूटर आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से लैस होगा। ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड (एटीओ) की सुविधा से ट्रेन का संचालन किया जाएगा। गति निर्धारण, स्टेशन पर निर्धारित स्थान पर रुकना, दरवाजों का खुलना और बंद होना सब कुछ आटोमेटिक होगा। प्लेटफार्म पर स्क्रीन डोर होंगे। स्टेशन पर ट्रेन आने के बाद जब उसके दरवाजे खुलेंगे तभी स्क्रीन डोर खुलेगा। ट्रेन टू ग्राउंड वायरलेस नेटवर्क जैसे टेलीकॉम सब सिस्टम इस का हिस्सा हैं। यह सिस्टम अन्य दो कॉरिडोर (दिल्ली - पानीपत और दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर) के साथ खुद संचालित होगा। यानि, अलग-अलग कॉरिडोर के स्टेशन तक यात्रा करने के लिए भी यात्रियों को ट्रेन बदलने की आवश्यकता नहीं होगी। यात्री एक ही ट्रेन में बैठकर जिस जगह जाना जाता है वहां आसानी से पहुंच जाएगा। हर पांच और दस मिनट में स्टेशन से ट्रेन मिलेगी। पूरे ट्रेन और स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे।

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