समय पर काम शुरू न होने से अब बढ़ जाएगा रैपिड रेल का खर्च
केन्द्र सरकार की स्वीकृति के बाद समय से काम शुरू न हो पाने का लोड अब दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल के खर्च पर पड़ेगा। केन्द्र की स्वीकृति के अनुसार 82 किलोमीटर के रैपिड रेल का कुल खर्च 30 हजार 274 करोड़ा...
केन्द्र सरकार की स्वीकृति के बाद समय से काम शुरू न हो पाने का लोड अब दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल के खर्च पर पड़ेगा। केन्द्र की स्वीकृति के अनुसार 82 किलोमीटर के रैपिड रेल का कुल खर्च 30 हजार 274 करोड़ा आंका गया। विलंब की स्थिति में चार करोड़ प्रतिदिन का बोझ पड़ेगा।
पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत मई-2019 में दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल का कार्य पहले चरण में साहिबाबाद से दुहाई के बीच शुरू होना था। लोकसभा चुनाव की आचारसंहिता के कारण टेंडर आदि की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी। इस कारण एनसीआरटीसी के स्तर से पहले चरण का कार्य अब मई की जगह अब जून में शुरू हो सकेगा। इस तरह एक माह की देरी होना लगभग तय है। इस स्थिति में प्रोजेक्ट की कुल लागत में चार करोड़ प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ोतरी हो जाएगी। कार्य प्रारंभ होने के बाद इसे कुल लागत में जोड़ा जाएगा। एनसीआरटीसी के अधिकारियों के अनुसार नई सरकार के गठन के बाद जल्द से जल्द कार्य प्रारंभ करने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। इसके लिए लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। जमीन को लेकर संबंधित विभागों से वार्ता की जा रही है। सरकार बनने के बाद तुरंत एनसीआरटीसी की महत्वपूर्ण बैठक केन्द्र, प्रदेश और नोडल अधिकारी कमिश्नर मेरठ के स्तर पर होगी। बैठक के निर्णय के साथ ही जून माह में काम शुरू किया जाएगा।
जमीन को लेकर अभी हो रही परेशानी
मेरठ और गाजियाबाद जिले में रैपिड रेल को लेकर जमीन को लेकर भी अभी परेशानी हो रही है। हालांकि मुख्य सचिव ने सभी विभागों को जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराने को कहा है, लेकिन कार्रवाई की गति धीमी है। सरकारी जमीन भी एनसीआरटीसी के नाम पर ट्रांसफर होने में अभी कम से कम दो माह का समय लगेगा।