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निर्वाण लाडू चढ़ाकर आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया

जंबूद्वीप में तीन मूर्ति मंदिर में विराजमान जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का निर्वाण कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर की प्रतिमा का पंचामृत मस्तकाभिषेक किया गया। जिसमें मुख्य रूप से...

निर्वाण लाडू चढ़ाकर आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया
हिन्दुस्तान टीम,मेरठTue, 16 Jan 2018 02:09 AM
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जंबूद्वीप में तीन मूर्ति मंदिर में विराजमान जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का निर्वाण कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर की प्रतिमा का पंचामृत मस्तकाभिषेक किया गया। जिसमें मुख्य रूप से जल, नारियल रस, इच्छुरस, घी, दूध, दही, हरिद्रा, लालचंदन, सफेद चंदन, केशर से प्रतिमा का महामस्तकाभिषक किया गया। इसके बाद विश्व में शांति की कामना करते हुए शांतिधारा की गई।

संस्थान के मंत्री विजय कुमार ने बताया कि करोड़ों वर्ष पूर्व माघ कृष्णा चतुर्दशी के दिन भगवान ऋषभदेव को अष्टापद कैलाश पर्वत से मोक्ष की प्राप्ति हुई। उस दिन को पावन और पवित्र मान कर श्रद्धालु भगवान के निर्वाण किए जाने की खुशी में निर्वाण लाडू चढ़ाकर अर्घ्य समर्पित करते हैं। गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की शिष्या ब्रह्मचारिणी बीना जैन के सानिध्य में तीनमूर्ति मंदिर में 11 किलो का लाडू चढ़ाया गया। लाडू चढ़ाने का सौभाग्य कुमुदनी देवी जैन, प्रकाश चंद जैन को प्राप्त हुआ। इसके अलावा सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान ऋषभदेव को निर्वाण लाडू चढ़ाया। सांय काल में भगवान की आरती की गई। इस मौके पर सुनील जैन, मनोज कुमार जैन, राकेश जैन, सुभाष जैन साहूजी, प्रबंधक राजेश जैन, वीरेंद्र जैन, मनोज जैन आदि शामिल रहे। झंडारोहण के बाद भगवान को समर्पित किया निर्वाण लाडू वहीं श्री 1008 आदिनाथ भगवान निर्वाणोत्सव के उपलक्ष्य में कैलाश पर्वत पर मुनि श्री 108 भावभूषण जी महाराज, समाधि सागर महाराज, निर्वाण भूषण महाराज व निशंक भूषण महाराज के पावन सानिध्य में निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। सर्वप्रथम भगवान का नित्य नियम पूजन कर भगवान की शांतिधारा की गई। तत्पश्चात श्री दिगम्बर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर में आदिनाथ जिनालय में निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इसके बाद कैलाश पर्वत पर पवन जैन गिरीशा जैन द्वारा झंडारोहण किया गया। श्रद्धालुओं ने त्रिकाल चौबीसी के 72 जिनालयों वंदना करते हुए आदिनाथ भगवान के चरणों में मंत्रोच्चार के साथ निर्वाण लाडू समर्पित किया। मुनि श्री भाव भूषण जी ने हस्तिनापुर की महिमा को बताते हुए कहा कि यही वह पावन धरा है, जहां से दान की परंपरा का प्रादुर्भाव आदिनाथ के प्रथम आहार के साथ हुआ। यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम सभी आदिनाथ भगवान की कृति मोक्षस्थली कैलाश पर्वत पर निर्माण लाडू समर्पित कर रहे हैं। मुनि श्री समाधि सागर जी महाराज ने आशीर्वाद देते हुए कैलाश पर्वत पर होने वाले 48 दिवसीय भक्तामर विधान की महिमा बताई और कहा कि जो भी भक्तामर की आराधना भक्ति भाव से करता है, उसके सांसारिक दुख क्षण भर में दूर हो जाते हैं। मुख्य निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य राकेश जैन, सुमेर चंद, विनय, नरेंद्र जैन को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में महाप्रबंधक मुकेश जैन, अतुल जैन, उमेश, अशोक, कमल, प्रेम आदि का सहयोग रहा।

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