गीत की महानता के साथ साहित्य की सरलता सम्मानित
अपने गीतों की सरलता से साहित्य को सबल बनाने वाले गीतकार धर्मजीत ‘सरल के अभिनदंन ग्रंथ का रविवार शाम विमोचन हुआ। दिल्ली रोड स्थित चैंबर ऑफ कॉमर्स में हुए समारोह को सुप्रसिद्ध गीतकार भारत भूषण के...
अपने गीतों की सरलता से साहित्य को सबल बनाने वाले गीतकार धर्मजीत ‘सरल के अभिनदंन ग्रंथ का रविवार शाम विमोचन हुआ। दिल्ली रोड स्थित चैंबर ऑफ कॉमर्स में हुए समारोह को सुप्रसिद्ध गीतकार भारत भूषण के जन्मदिवस पर आयोजित किया था। मेरठ के साहित्य और कला जगत से जुड़े लोग काफी संख्या में जुटे।
समारोह की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर दीप जलाकर की गई। इसके बाद सभागार में मौजूद अधिकतर लोगों ने गीतकार ‘सरल का माला पहनाकर स्वागत किया। तालियों की गड़गड़ाहट और श्रोताओं के प्रेमपूर्ण बुलावे पर धर्मजीत ‘सरल ने अपने प्रसिद्ध गीतों को सुनाना शुरू किया।
‘मेरी आंखों में समाते रहिए। मन को आईना बनाते रहिए।।
मैं कहीं देवता न बन जाऊं। मुझको आवाज लगाते रहिए।।
तू कोई रूप का संमदर है। तेरे जलवे कहां समाएंगे।।
तेरी चितवन की छुवन भर से ही।
जितने दर्पण थे, चटक जाएंगे।।
85 वर्ष की आयु में ‘सरल से यह गीत सुनकर श्रोता भावुक हो उठे। इसके बाद उन्होंने ओज के कवि डॉ. हरिओम पंवार की फरमाइश पर ‘एक गीत और जन्म लेता। तुम निहारते तो सही।। थोड़ा सा दर्द बहल जाता। तुम दुलारते तो सही।। सुनाकर समय को पीछे धकेल दिया।
वरिष्ठ व्यंग्यकार और स्तंभकार निर्मल गुप्ता ने ‘सरल को देश के बड़े गीतकारों में बताया।
आयोजन समिति को दिया धन्यवाद
गीत ऋषि-धर्मजीत ‘सरल अभिनंदन ग्रंथ के तीनों संपादकों डॉ. रामगोपाल भारतीय, डॉ. मीनाक्षी शास्त्री और सुमनेश ‘सुमन का मंच से गीतकार ‘सरल ने कई बार धन्यवाद दिया। कहा कि तीनों ने कई महीनों की मेहनत के बाद यह सुंदर आयोजन किया। यह मेरे जीवन की अमूल्य निधि है। संचालन अपने विशिष्ट अंदाज में डॉ. मीनाक्षी शास्त्री ने किया।
कई साहित्यकारों ने की शिरकत
विमोचन समारोह में वेद प्रकाश ‘वटुक, वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक धर्म दिवाकर, डॉ. महेश चंद्र दिवाकर, किरण वर्मा, रश्मि राव, अनिल सरल, केके ‘बेदिल, फिल्म जर्नलिस्ट ज्ञान दीक्षित, रंगकर्मी भारत भूषण शर्मा, अनिल शर्मा, डॉ. वीके सक्सेना सहित काफी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे। सुमेनश ‘सुमन और रामगोपाल ‘भारतीय ने ‘सरल को शब्दों का जादूगर और चितेरा बताया।