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ध्यानमग्न हुए हजारों बच्चे-साधक, 11 दिसंबर घोषित हो ध्यान दिवस

कैलाश प्रकाश स्टेडियम में मंगलवार को हजारों की संख्या में बच्चों ने ध्यान किया। ध्यान और प्रेम का रस दुनिया को पिलाने वाले विख्यात संत और दार्शनिक आचार्य रजनीश(ओशो) का जन्मदिवस शहर में ध्यान उत्सव...

ध्यानमग्न हुए हजारों बच्चे-साधक, 11 दिसंबर घोषित हो ध्यान दिवस
हिन्दुस्तान टीम,मेरठWed, 12 Dec 2018 01:40 AM
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कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में मंगलवार को हजारों की संख्या में बच्चों ने ध्यान किया। ध्यान और प्रेम का रस दुनिया को पिलाने वाले विख्यात संत और दार्शनिक आचार्य रजनीश(ओशो) का जन्मदिवस शहर में ध्यान उत्सव दिवस के रूप में मनाया गया। न्यूमैन फाउंडेशन के तत्वावधान में स्कूली बच्चों ने ध्यान किया। ओशो के साथ पुणे और अमेरिका में रहे दो शिष्य स्वामी सत्य वेदांत और स्वामी अगेह भारती भी ध्यान उत्सव के गवाह बने। एडीएम सिटी मुकेश चंद मुख्य अतिथि रहे। सभी स्थानों पर ओशो के जन्मदिन को विश्व ध्यान दिवस घोषित करने की मांग की गई।

ध्यान उत्सव की शुरुआत स्वामी सत्य वेदांत, स्वामी अगेह भारती, स्वामी विनोद भारती, न्यूमैन फाउंडेशन के संस्थापक असीम आनंद, नीरज अरोरा ने दीप जलाकर की। इसके बाद शिवांगी संगीत महाविद्यालय के बच्चों ने गणेश और सरस्वती वंदना पर नृत्य किया। संचालन कर रहे असीम आंनद ने बच्चों को सक्रिय ध्यान का अभ्यास कराया। सक्रिय ध्यान में उछलकूद और नृत्य के बाद शिथिल अवस्था में जाना होता है। इस दौरान ओशो की ध्यान विधियों पर आधारित पुस्तक ‘ध्यान विज्ञान का भी विमोचन किया गया। इस दौरान ब्रिगेडियर एसके सरीन, आरआरएस महानगर संचालक विनोद भारती, डॉ¯ शैलेंद्र सिंह, राकेश गुप्ता, देवेंद्र कुमार आदि रहे।

बच्चों की प्रतिभा निखारेगा और शांति लाएगा ध्यान: वेदांत

ओशो के घनिष्ठ शिष्य रहे स्वामी सत्य वेदांत ने बताया कि ध्यान बच्चों की प्रतिभा को निखार देगा। ओशो का कम उम्र में ही इतना प्रतिभाशाली का कारण केवल ध्यान ही था। इस कारण ही ओशो ने करीब एक लाख पुस्तकों का अध्ययन किया और 650 किताबें उनके साहित्य में हैं। उनके सारे साहित्य और प्रवचनों में ध्यान ही महत्वपूर्ण बिंदु है। स्वामी सत्य वेदांत ने अभिभावकों-शिक्षकों को घर से लेकर स्कूलों में ध्यान का अभ्यास कराएं। इससे बच्चों में सहजता और सरलता आएगी। कहा कि ओशो के पुणे और अमेरिका के आश्रमों में सुबह से लेकर शाम तक ध्यान के प्रयोग होते थे। आयोजक स्वामी असीम आनंद ने बताया कि ओशो ने मानव और मानवता को उसकी जड़ों को सींचा। इतनी बेचैनी और कड़वाहट को केवल ध्यान ही दूर कर सकता है।

जबलपुर से आए स्वामी अगेह भारती ने कहा ‘मैं कौन हूं

शास्त्रीनगर एल-ब्लॉक स्थित ओशो सद् धर्म ध्यान केंद्र पर ‘मैं कौन हूं ध्यान कराया। सबसे पहले ध्यान केंद्र के संस्थापक स्वामी आनंद अवनीश को श्रद्धांजलि दी गई। स्वामी अगेह भारती ने बताया कि वह अपनी युवावस्था से ही ओशो से जुड़ गए थे। ओशो का नवसंन्यास न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी लोगों को अपनी ओर खींच रहा था। कहा कि विदेशों में ओशो के संन्यासियों की तादाद दिनों दिन बढ़ रही थी। बताया कि जो भी ओशो के पास आता उसे वह ध्यान का ही संदेश देते थे। इसके बाद ओशो का प्रवचन टीवी पर चलाया गया। संचालन करते हुए मां शांति एकांत ने कहा कि दुनियाभर में ओशो की देशना फैलने वाली है। कहा कि पर्यावरण, बढ़ती जनसंख्या, जागरुकता, ध्यान ही ओशो का संदेश है। इस दौरान अमन, विक्रांत, राजेंद्र, अनिल, मां मधु, डॉ. आभा, बीना, शिप्रा। मैं कौन हूं ध्यान कराया।

केवल ध्यान पर ही ध्यान दें : योग मूर्ति

कुलवंत सिंह स्टेडियम के सामने स्थित ओशो पथिक ध्यान केंद्र पर अनुयायियों ने ध्यान कर सद्गुरु को श्रद्धांजलि दी। सुबह सूफी नृत्य कर ध्यान किया गया। नादब्रह्म, नटराज, अनापानसति योग आदि ध्यान कराए गए। शाम को केक काटा गया। ओशो से दीक्षा लेने वाले स्वामी योग मूर्ति ने कहा कि ध्यान और प्रेम एक दूसरे के परिचायक हैं। अगर को खुद को ओशो का संन्यासी बताता है तो उसके जीवन में केवल ध्यान ही होगा। स्वामी सुनील गंभीर ने कहा कि ओशो ने जीवन को गंभीरता से मुक्त रखने को कहा। उन्होंने हंसते खेलते जीवन जीने की कला सिखाई। लखनऊ से ओशो पथिक ध्यान केंद्र के संचालक स्वामी उमेश टंडन ने भी सभी को शुभकामनाएं दीं। इस दौरान स्वामी राजीव रस्तोगी, मां शालिनी, मां अर्चना, मां सीमा, स्वामी अभय, मुनीश यादव, स्वामी बाबूराम, स्वामी नोहारीलाल, स्वामी कपिल सहित काफी संख्या में ओशो अनुयायी शामिल रहे।

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