भगवान जगन्नाथ का सिर्फ रथ निकलेगा, नहीं होगा भक्तों का रेला
कोरोना संकट के बीच इस बार भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा की 110 साल पुरानी परंपरा टूट जाएगी। भगवान का रथ अकेले ही शहर में निकलेगा। रथ के साथ कुछ ही श्रद्धालुओं को चलने की अनुमति होगी। पहले की...
कोरोना संकट के बीच इस बार भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा की 110 साल पुरानी परंपरा टूट जाएगी। भगवान का रथ अकेले ही शहर में निकलेगा। रथ के साथ कुछ ही श्रद्धालुओं को चलने की अनुमति होगी। पहले की तरह न ही भव्य रथयात्रा होगी और न ही भक्तों का रेला उमड़ेगा। ऐसा पहली बार होगा कि आम श्रद्धालु भगवान का रथ नहीं खींच सकेंगे। मंदिर समिति की ओर से गुरुवार को यह घोषणा की गई। शुक्रवार को इस पर मंथन के लिए बैठक भी बुलाई गई है।
भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी जी की रथ यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ओडिशा के पुरी में निकलती है। इसी तर्ज पर मेरठ में भी भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर सदर थाने के पीछे से करीब 110 साल से रथयात्रा निकाली जा रही है। मंदिर समिति के अध्यक्ष विजय गोयल व महामंत्री सुरेंद्र सिंधु ने बताया कि भगवान जगन्नाथ स्वामी भाई बलराम व बहन सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। श्रद्धालु जगह-जगह स्वागत करते हैं और हाथों से रथ खींचते हैं। दोपहर से शुरू होने वाली रथ यात्रा देर रात संपन्न होती है।
23 जून को निकलेगा रथ
मुख्य संयोजक गणेश अग्रवाल व कोषाध्यक्ष पवन गर्ग का कहना है कि 23 जून को यात्रा निकलनी प्रस्तावित है। इस बार कोरोना वायरस के चलते केवल भगवान का रथ निकाला जाएगा। इसके लिए मंदिर परिसर में विचार-विमर्श हेतु शुक्रवार को दोपहर 12:00 बजे समिति की बैठक बुलाई गई है।
रथयात्रा के लिए 1987 में चला था जेल भरो आंदोलन
मंदिर समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि 1987 में जब मेरठ में कर्फ्यू लगा हुआ था तब यात्रा निकालने के लिए मेरठ की धार्मिक जनता ने जेल भरो आंदोलन किया था। ऐसे में प्रशासन बैकफुट पर आया और सुरक्षा के बीच रथ यात्रा का आयोजन किया गया।