अब केवल नैक नहीं करेगा संस्थानों की ग्रेडिंग
देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों सहित उच्च शैक्षिक संस्थानों में शैक्षिक गुणवत्ता तथा मानकों के आधार अब केवल राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्याययन परिषद (नैक) ही ग्रेडिंग नहीं करेगा।...
देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों सहित उच्च शैक्षिक संस्थानों में शैक्षिक गुणवत्ता तथा मानकों के आधार अब केवल राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) ही ग्रेडिंग नहीं करेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ग्रेडिंग के लिए सरकारी और अर्द्धसरकारी एजेंसियों को भी हरी झंडी दे दी है। ये सभी एजेंसियां मूल्यांकन सलाहकार परिषद (एएसी) के निर्देशन में काम करेंगी। एएसी में विशिष्ठ शिक्षाविद्, उच्चतर शिक्षा, मूल्यांकन एवं प्रत्यायन क्षेत्र के दस विशेषज्ञ होंगे। एएसी ही मूल्यांकन एवं प्रत्यायन एजेंसियों (एएए) के लिए नियम और मानक तय करते हुए उनकी निगरानी करेगा।
यूजीसी ने इसके लिए ‘रिक्गनिशन एंड मॉनिटिरिंग ऑफ असेसमेंट एंड एक्रीडिएशन एजेंसीज रेगुलेशन 2018 लागू कर दिया है। अभी तक देश में विवि और कॉलेजों के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) तथा राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) ही ग्रेडिंग करती हैं, लेकिन भविष्य में इन दोनों संस्थानों के साथ ही अन्य सरकारी और अर्द्धसरकारी एजेंसियां भी मानकों के आधार पर ग्रेडिंग देंगी। यूजीसी के अनुसार उच्च शिक्षा संस्थानों की ग्रेडिंग की जरुरतों को पूरा करने के लिए नई व्यवस्था की जा रही है।
नई व्यवस्था में ऐसे होगी ग्रेडिंग
-------------------------------
-दस विशेषज्ञ सदस्यों वाली प्रत्यायन सलाहकार परिषद (एएसी) गठित होगी जो प्रत्यायन एवं मूल्यांकन एजेंसियां (एएए) गठित करेगी।
-प्रत्यायन एवं मूल्यांकन एजेंसी (एएए) में सरकारी और अर्द्धसरकारी एजेंसियां शामिल होंगी। ये नैक एवं एनबीए से अलग होंगी।
-एएसी ही एएए के चयन हेतु पारदर्शी व्यवस्था तैयार करेगा। पंजीकृत एजेंसियां केवल दो वर्ष के लिए ही मान्य होंगी।
-यदि एएए मानकों का उल्लंघन करती हैं अथवा गलत ग्रेडिंग करती हैं तो उनका पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा।
-ग्रेडिंग के लिए संस्थान आवेदन के साथ निर्धारित शुल्क जमा करेगा। ग्रेडिंग 90 दिन के भीतर ही की जाएगी।
-एएए के लेखा नियंत्रक महालेखा परीक्षक के अधीन काम करेंगे।
-एएसी एएए को प्राप्त शुल्क की जांच करेगी और आयोग को अनुमोदन के लिए भेजेगी।
-कोई भी कॉलेज, विवि या उच्च शिक्षा संस्थान आवेदन के वक्त तीन एएए के नाम देगा।
-आयोग ऐसा तंत्र विकसित करेगा जिसमें प्राप्त शुल्क केंद्रीय पूल में संग्रहित किया जाएगा। इससे संस्थान एवं एजेंसी में संबंध खत्म हो जाएगा।
-यदि एएए भ्रष्टाचार में लिप्त मिलते हैं तो उन्हें आजीवन डिबार किया जाएगा। ऐसे एजेंसियों के नाम सार्वजनिक भी किए जाएंगे।