ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश मेरठआज के धरने पर दोनों मूटा आमने-सामने

आज के धरने पर दोनों मूटा आमने-सामने

मेरठ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ मूटा पंजीकृत और मूटा निर्वाचित आज होने वाले धरने को लेकर आमने-सामने हैं। विभिन्न मुद्दों पर मूटा निर्वाचित ने आज कैंपस में विवि के खिलाफ धरने का ऐलान किया है जबकि मूटा...

आज के धरने पर दोनों मूटा आमने-सामने
हिन्दुस्तान टीम,मेरठMon, 13 May 2019 02:08 AM
ऐप पर पढ़ें

मेरठ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ मूटा पंजीकृत और मूटा निर्वाचित आज होने वाले धरने को लेकर आमने-सामने हैं। विभिन्न मुद्दों पर मूटा निर्वाचित ने आज कैंपस में विवि के खिलाफ धरने का ऐलान किया है जबकि मूटा पंजीकृत ने धरने को ढकोसला करार देते हुए ओछी राजनीति करने के आरोप लगाए हैं। ऐसे में आज का धरना मूटा की राजनीति की कलई खोलने वाला साबित होगा।

मूटा अध्यक्ष डॉ.विकास शर्मा के पिछले वर्ष त्यागपत्र देने के बाद से दोनों मूटा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। निर्वाचित मूटा में अध्यक्ष पद को लेकर विवाद हुआ जबकि पंजीकृत मूटा अपनी जमीन पाने को छटपटा रही है। दोनों मूटा पिछले वर्ष से ही विवि में अपनी ताकत को लेकर असमंजस में है। इसी क्रम में निर्वाचित मूटा ने अपने कार्यकाल के आखिरी पड़ाव पर आज विवि में तथाकथित शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ एक दिवसीय धरने की घोषणा की है। मूटा निर्वाचित के महामंत्री डॉ. जय कुमार सरोहा के मुताबिक विवि जानबूझकर शिक्षक हितों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की आरडीसी एवं बोर्ड ऑफ स्टडीज कॉलेजों से अलग करने, शिक्षक कल्याण कोष से शिक्षकों का बीमा करने व शिक्षक प्रतिनिधियों को बैठकों में आमंत्रित करने सहित तीन मांगों के लिए आज धरना रखा है। वहीं, विवि प्रशासन के विरूद्ध इस धरने को मूटा पंजीकृत ने चुनौती दी है। मूटा पंजीकृत अध्यक्ष डॉ.संतराम और महामंत्री डॉ. शिवकुमार ने पत्र जारी कर शिक्षकों से अपील की है कि वे तथाकथित मूटा के नेताओं की महत्वाकांक्षाओं का शिकार न बनें। उत्तर प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में कॉलेजों और कैंपस की अलग बोर्ड ऑफ स्टडीज व आरडीसी नहीं है। प्रत्येक विषय की बोर्ड ऑफ स्टडीज व आरडीसी में विश्वविद्यालय कैंपस का प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष व एक महाविद्यालय के उस विषय का वरिष्ठत प्राध्यापक संयोजक होता है। डॉ. शिवकुमार के अनुसार यूपी यूनिवर्सिटी एक्ट 1973 में एक विश्वविद्यालय में एक सब्जेक्ट की एक आरडीसी और एक ही बोर्ड ऑफ स्टडीज का प्रावधान है। अत: ऐसी मांग उठाकर शिक्षकों की ऊर्जा का दुरुपयोग करना स्वयं की राजनीति चमकाना है।

अध्यक्ष डॉ.संतराम ने आरोप लगाया कि तथाकथित मूटा के पदाधिकारी शिक्षक कल्याण कोष के करोड़ों रुपयों पर निगाह जमाए हुए हैं। प्रत्येक शिक्षक का पहले से ही मेडिकल बीमा कराया जा रहा है। इसलिए शिक्षक कल्याण कोष की राशि केवल शिक्षकों की बीमारी, इलाज व मृत्यु की दशा में ही उपयोग की जानी चाहिए। मूटा पंजीकृत में अध्यक्ष डॉ. संतराम ने कहा कि निर्वाचित मूटा का कार्यकाल 26 फरवरी 2019 का पूरा हो चुका है। कालातीत मूटा को विवि की समितियों में बुलाने का विरोध होगा। साथ ही तथाकथित मूटा पंजीकृत संगठन नहीं है। ऐसे में मूटा पंजीकृत ही विवि में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करेगा। ऐसे में आज का धरना दोनों मूटा के अस्तित्व की भी अग्नि परीक्षा साबित होगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें