भावनपुर के अब्दुल्लापुर में भगवा गमछा पहनने और तिलक लगाने को लेकर की गई मंदिर सेवक की हत्या के मामले में लोगों का गुस्सा बुधवार सुबह फूट पड़ा। बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं ने परिजनों को साथ लेकर कांति प्रसाद का शव अब्दुल्लापुर में सड़क पर रख दिया और जाम लगा दिया। हंगामा करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने और एसओ को सस्पेंड करने की मांग की। इस दौरान घंटों तक बवाल होता रहा। कैंट विधायक और जिला पंचायत सदस्य भी पहुंच गए। आखिर में आर्थिक मदद के आश्वासन पर बात बनी। एसएसपी ने एसओ और एसएसआई को लाइन हाजिर कर दिया।
अब्दुल्लापुर में मंदिर के सेवक कांति प्रसाद के साथ अनस नाम के युवक ने भगवा गमछा पहनने और तिलक लगाने को लेकर 13 जुलाई को मारपीट की थी। 14 जुलाई को उपचार के दौरान कांति प्रसाद की मौत हो गई। गुरुवार सुबह करीब आठ बजे बजरंग दल और विहिप कार्यकर्ताओं ने कांति प्रसाद का शव अब्दुल्लापुर में किला रोड पर रख दिया और जाम लगा दिया। पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर दी। पुलिस पर हिस्ट्रीशीटर नदीम मेवाती से संबंधों का आरोप लगाया गया। इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यशैली को विवादित बताते हुए आरोपियों की धरपकड़, एसओ को हटाने और मुआवजे की मांग की गई। एसपी देहात अविनाश पांडेय, सीओ सदर देहात और आसपास के चार थानों की फोर्स मौके पर पहुंची। मामला काबू करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं बनी। पुलिस ने सख्ती भी की, लेकिन भीड़ नहीं मानी और पुलिस से तीन बार झड़प हुई। अधिकारियों के धमकाने के बावजूद लोग सड़क पर डटे रहे। इसके बाद विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, जिला पंचायत सदस्य रोहताश पहलवान और बलराज डूंगर समेत बाकी लोग भी पहुंच गए। मामले में एसएसपी अजय साहनी से बात की गई, जिसके बाद एसओ संजय कुमार और एसएसआई जितेंद्र कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया। आर्थिक मदद के लिए 25 लाख रुपये की रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई और साथ ही कांति प्रसाद की पत्नी की पेंशन शुरू करने की बात कही गई। ढाई घंटे बाद शव को उठाया गया और अंतिम संस्कार किया गया।