सेंचुरी में कम रहीं प्रवासी परिंदों की अठखेलियां
Meerut News - - जनवरी 2021 में 1674 प्रवासी पक्षी पहुंचे थे हस्तिनापुर सेंचुरी, 2022 में संख्या घटी
मेरठ। प्रवीण दीक्षित
अच्छी और लंबी मानसूनी बारिश से पुनर्जीवित हुए नमभूमि क्षेत्र (वेटलैंड) के बावजूद इस साल हस्तिनापुर सेुंचरी में प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां कम हो गईं। जनवरी में वेटलैंड मौजूद रहने के बाद भी प्रवासी परिंदों का कलरव कम है। मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने और शोर से प्रवासी पक्षियों ने सेंचुरी से किनारा कर लिया। यह स्थिति तब है जब नवंबर 2021 में यहां तीन हजार से अधिक प्रवासी पक्षी पहुंचे थे, लेकिन जनवरी आते-आते वे यहां टिक नहीं पाए। एशियन वाटरवर्ड सेंसस (एडब्ल्यूसी) 2022 की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसमें एशिया और आस्ट्रेलिया में जलीय प्रवासी पक्षियों की गणना की जाती है।
नवंबर में खूब पहुंचे प्रवासी पक्षी
वेटलैंड इंटरनेशनल के एडब्ल्यूसी दिल्ली राज्य समन्वयक एवं इकोलॉजिस्ट टीके रॉय के अनुसार सेंचुरी में 2021 नवंबर में तीन हजार प्रवासी पक्षी पहुंचे थे। इसमें बत्तख एवं गीज सर्वाधिक थे लेकिन 2022 जनवरी में यह संख्या सिमट गई। जनवरी में कुल 45 प्रजातियां रिपोर्ट हुई, जिसमें 24 स्थानीय एवं 21 प्रवासी प्रजाति हैं। इनमें पांच प्रजातियां ऐसी भी हैं, जो आईयूसीएन की संकटग्रस्त लाल सूची में हैं। जनवरी 2021 में 38 प्रजातियों में से 25 स्थानीय और 13 प्रवासी जलीय पक्षी थे। इस वर्ष आईयूसीएन संकटग्रस्त लाल सूची की सात प्रजातियों के पक्षी हस्तिनापुर पहुंचे थे।
यह रहा जनवरी का हाल
टीके रॉय के अनुसार 2021 के मुकाबले 2022 में प्रवासी पक्षियों की विविधता तो बढ़ी है, लेकिन कुल संख्या कम हो गई। 2021 में 38 प्रजातियों के 1674 प्रवासी पक्षी सेंचुरी में रिपोर्ट हुए, जबकि 2021 में 45 प्रजातियों के 1521 पक्षी। बार हेडेड गीज, गडवाल, कॉमन टील की संख्या अत्यधिक कम हुई है, जबकि रूडी शेलडक और ग्रे-लेग गीज बढ़े हैं।
ये प्रवासी परिंदे मिले सेंचुरी में
मध्य एशिया से ग्रे-लैग गीज, बार-हेडेड गीज, रुडी शेलडक, गडवाल, उत्तरी एशिया से कॉमन टील प्रवासी पक्षी सेंचरी आए। आईयूसीएन संकटग्रस्त लाल सूची से ब्लैक-हेडेड आईबिस, सारस क्रेन, रिवर लेपविंग, रिवर टर्न एवं ब्लैक बेलेड टर्न।
इन्होंने की पक्षियों की गणना
सेंचुरी के हस्तिनापुर क्षेत्र में वाइल्ड लाइफ डिविजन मेरठ के सहयोग से एडब्ल्यूसी वेटलेंड्स इंटरनेशनल से टीके रॉय ने की। इसमें सीसीएसयू से पर्यावरण अध्ययन विभाग से प्रो. एके चौबे और छात्र शामिल रहे।
मानवीय गतिविधि बढ़ने से बने ऐसे हालात
सेंचुरी में केवल प्रवासी जलीय पक्षी ही कम नहीं हुए बल्कि स्थानीय स्तर पर मिलने वाले जलीय पक्षी भी नहीं दिखाई दिए। टीके रॉय के अनुसार ये स्थानीय पक्षी प्रतिवर्ष गणना में दिखते थे, लेकिन इस बार नहीं मिले। इस पूरे एरिया में मानवीय गतिविधि बढ़ी हैं। शोर-शराबा बढ़ा है। खेती में विभिन्न उपकरणों के प्रयोग से निकला शोर परिंदों को परेशान करता है। ऐसे में यहां से पक्षी किनारा करने लगे हैं।
प्रवासी पक्षी और साल
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वर्ष प्रजाति विविधता पक्षियों की कुल संख्या आईयूसीएन प्रजाति
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2019 43 2705 06
2020 45 3103 09
2021 38 1674 07
2022 45 1521 05
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‘अच्छी मानसूनी बारिश से इस साल नमभूमि क्षेत्र ना केवल बढ़े बल्कि पुनर्जीवित भी हुए। ये अब तक बने हुए हैं, लेकिन प्रवासी जलीय पक्षी कम हैं। नवंबर में व्यापक संख्या में प्रवासी जलीय पक्षी सेंचुरी पहुंचे, लेकिन जनवरी आते-आते यह संख्या लगभग आधी हो गई। पूरे क्षेत्र में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ा है। इस व्यवधान से प्रवासी पक्षी टिक नहीं पाए। यही वजह है कि जनवरी में प्रवासी परीक्षयों का कलरव हस्तिनापुर सेंचुरी में कम है।
टीके रॉय, एडब्ल्यूसी समन्वयक वेटलैंड इंटरनेशनल
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