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कैमरा, बाइक न मोबाइल, कैसे चलेगी बीट प्रणाली

उत्तर प्रदेश के सौ थानों में 16 जनवरी से बीट प्रणाली लागू हो गई है। धरातल पर इसकी सच्चाई एकदम उलट है। पर्याप्त फोर्स है न ही संसाधन। नतीजा, पायलट प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में शुरू हो सका है। सभी जिलों...

कैमरा, बाइक न मोबाइल, कैसे चलेगी बीट प्रणाली
हिन्दुस्तान टीम,मेरठSat, 18 Jan 2020 02:01 AM
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उत्तर प्रदेश के सौ थानों में 16 जनवरी से बीट प्रणाली लागू हो गई है। धरातल पर इसकी सच्चाई एकदम उलट है। पर्याप्त फोर्स है न ही संसाधन। नतीजा, पायलट प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों में शुरू हो सका है। सभी जिलों ने जब फोर्स और संसाधन मांगने शुरू किए तो सच्चाई सामने आई। अधिकारी मान रहे हैं कि इस व्यवस्था को लागू होने में अभी दस से 15 दिन का वक्त लग सकता है।

16 जनवरी से 15 मार्च तक प्रदेश के 100 थानों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बीट व्यवस्था लागू हो गई है। एक बीट में दो मोहल्ले या गांव शामिल हैं। आदेश हैं कि ‘बीट पुलिस ऑफिसर हर रोज अपनी बीट में जाकर जनसंपर्क बढ़ाएंगे। प्रत्येक बीपीओ को बॉडी वॉर्न कैमरा, बाइक, सीयूजी मोबाइल, पिस्टल और वायरलैस देने का आदेश है, लेकिन जनपदों में इतने संसाधन मौजूद नहीं हैं।

मेरठ की बात करें तो यहां लिसाड़ी गेट और सरधना थाना क्षेत्र में 169 बीट बनाई गई हैं। 169 में से मात्र 100 वायरलैस उपलब्ध हैं, जबकि बॉडी वॉर्न कैमरा, बाइक और सीयूजी मोबाइल एक भी नहीं है। बीट पुलिस ऑफिसर के लिए 89 सिपाहियों की भी जरूरत है। बुलंदशहर, हापुड़, गाजियाबाद, नोएडा, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों में भी यही स्थिति है। अब सभी जिले संसाधनों की डिमांड सूची शासन को भेज रहे हैं। लखनऊ से पैसा या सामान आने पर ही बीट प्रणाली कारगर हो सकेगी।

फोर्स की भारी कमी

वेस्ट यूपी के सभी जिले फिलहाल पुलिस फोर्स की कमी से जूझ रहे हैं। उपलब्ध बल में से 20 फीसदी फोर्स सामान्य छुट्टियों पर रहता है। 80 फीसदी फोर्स वीआईपी ड्यूटी, कोर्ट ड्यूटी, चौराहा ड्यूटी, पतारसी-सुरागरसी, दबिश, कानून व्यवस्था, चौराहा ड्यूटी, बाजार गश्त समेत तमाम कार्यों में व्यस्त रहता है। बीट प्रणाली के लिए एक थाने में कम से कम 80 से 100 सिपाही चाहिए।

बस्ते भी नहीं बने

बीट पुलिस ऑफिसर के पास लेखपाल की तरह एक बस्ता होगा। इसमें हिस्ट्रीशीटर, प्रचलित अपराधी, एनसीआर की रिपोर्ट, 112 की रिपोर्ट, 1090 की शिकायत, रजिस्टर नंबर 8 में दर्ज मामले और अन्य कार्रवाई का ब्यौरा मौजूद होना चाहिए। जिलों में अभी इन बस्तों को तैयार करने का काम चल रहा है।

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मेरठ में दो थाना क्षेत्रों में बीट प्रणाली पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जानी है। कुछ संसाधनों की कमी है। इसकी डिमांड लखनऊ भेजी गई है।

- अजय साहनी, एसएसपी मेरठ

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