आईजीआरएस निस्तारण में देरी पर छह सब इंस्पेक्टर लाइनहाजिर
आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाले प्रार्थना पत्रों के निस्तारण में देरी पर एसएसपी ने छह सब इंस्पेक्टरों को लाइन हाजिर कर दिया है। रविवार को पुलिस अधिकारियों ने सभी थानेदारों की बैठक लेकर उनके पेंच कसे।...
आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाले प्रार्थना पत्रों के निस्तारण में देरी पर एसएसपी ने छह सब इंस्पेक्टरों को लाइन हाजिर कर दिया है। रविवार को पुलिस अधिकारियों ने सभी थानेदारों की बैठक लेकर उनके पेंच कसे। जनसुनवाई के निस्तारण में देरी करने अथवा झूठी रिपोर्ट लगाने पर सस्पेंड करने और जेल भेजने तक की चेतावनी दी।
मुख्यमंत्री ने आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाले प्रार्थना पत्रों का निस्तारण करने में लापवाही बरतने पर दस जिलों के डीएम-एसएसपी से जवाब तलब किया है। हालांकि इसमें मेरठ जिला शामिल नहीं है। मेरठ जिला आईजीआरएस की रैंकिंग में लगातार नंबर वन पोजीशन पर है। लेकिन मेरठ के कुछ थानेदार और सब इंस्पेक्टर शिकायत निस्तारण में देरी कर रहे हैं। एक दिन पहले एसएसपी अजय साहनी ने जिले के छह सब इंस्पेक्टरों को इस मामले में लाइनहाजिर करते हुए उनके विरुद्ध जांच बैठा दी है।
आईजीआरएस के संबंध में रविवार को नोडल अधिकारी एवं एसपी देहात संजीव वाजपेयी, एसपी सिटी डॉ. अखिलेश नारायण सिंह और एसपी देहात अविनाश पांडेय ने सभी थानेदारों की बैठक पुलिस लाइन सभागार में ली। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि आईजीआरएस पोर्टल के जरिये थानों को भेजे जाने वाले प्रार्थना पत्रों का निस्तारण तय समय में करें। समयावधि के चक्कर में झूठी सूचना न दें। ऐसा निस्तारण करें, जिससे पीड़ित संतुष्ट हो। अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में आईजीआरएस सबसे ऊपर है। जिन प्रार्थना पत्रों का निस्तारण होता है, उनकी रैंडम जांच की जाती है। यदि जांच में निस्तारण गलत पाया गया तो थानेदार और दरोगा को सस्पेंड तक किया जा सकता है।
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