भागवत कथा सुन राजा परिक्षित का हुआ उत्थान
देव मंदिर में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास नारायणाचार्य ने पहले दिन सुनाई गोकरण की कथा से आगे महाभारत की कथा का वर्णन किया। उन्होंने भगवान के 24 अवतारों का सुंदर वर्णन किया । उसके बाद...
देव मंदिर में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास नारायणाचार्य ने पहले दिन सुनाई गोकरण की कथा से आगे महाभारत की कथा का वर्णन किया। उन्होंने भगवान के 24 अवतारों का सुंदर वर्णन किया । उसके बाद महाभारत में कुंती के चरित्र का वर्णन किया।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान कृष्ण से कुंती ने अपने लिए दुख मांगा क्योंकि उनका मानना था कि मनुष्य सुख में भगवान को भूल जाता है किंतु दुख में वह भगवान को हमेशा याद रखता है। भगवान का स्मरण होता रहे इसलिए उन्होंने अपने लिए दुख मांगा। कथा व्यास ने राजा परीक्षित को श्राप देने की कथा का भी विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित ने ऋषि श्रृंगी के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया था और ऋषि ने उन्हें श्राप कि ठीक सातवें दिन सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। उसी श्राप के निवारण के लिए वेद व्यास द्वारा रचित भागवत कथा शुकदेव द्वारा सुनाई गई। जिसमें उनका उत्थान हो गया। कथा में मुख्य यजमान चंद्रबाला मोदी रहीं। इस मौके पर पुजारी पार्थ, पवन, रमाशंकर, वासुदेव, अरुण, जगदीश, राहुल, मंजू, कुसुम, मीरा आदि मौजूद रहे।