Hindi NewsUttar-pradesh NewsMeerut NewsInvasive Species Pose Major Threat to Local Biodiversity
पौधों की घुसपैठी प्रजातियां खतरा, करती हैं नुकसान

पौधों की घुसपैठी प्रजातियां खतरा, करती हैं नुकसान

संक्षेप: Meerut News - स्थानीय जैव विविधता के लिए घुसपैठी प्रजातियां सबसे बड़ी चुनौती बन गई हैं, जो स्थानीय प्रजातियों के लिए खतरा बनी हुई हैं। पार्थनियम और लैंटाना जैसे पौधे विशेष रूप से समस्या उत्पन्न कर रहे हैं। सीसीएसयू...

Fri, 18 Oct 2024 01:19 AMNewswrap हिन्दुस्तान, मेरठ
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स्थानीय जैव विविधता के लिए घुसपैठी प्रजातियां सबसे बड़ी चुनौती हैं। इन प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सीमित होता है। ऐसे में ये स्थानीय प्रजातियों के लिए बड़ा खतरा बनती हैं। पार्थनियम और लैंटाना जैसे पौधे इसका उदाहरण हैं। पार्थनियम सामान्य बोलचाल की भाषा में गाजर घास के नाम से चर्चित है और देशभर में फैल चुकी है। अपनी अनुकूलन क्षमता से लगातार इनका विस्तार हो रहा है। सीसीएसयू कैंपस में वनस्पति विज्ञान के 47 वें अखिल भारतीय सम्मेलन के दूसरे दिन गुरुवार को प्रो. डेजी आर. बतीश ने घुसपैठी प्रजातियों की समस्याओं को पेश किया। प्रो. डेजी के अनुसार ये घुसपैठी प्रजाति स्थानीय प्रजातियों के लिए बड़ा खतरा हैं और जैव विविधता को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रो. डीए पाटिल ने भारतीय प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित आक्रामक घुसपैठी प्रजातियों की चर्चा करते हुए कहा कि 16-17 वीं शताब्दी से इन प्रजातियों की संख्या बढ़कर अब दो सौ से अधिक हो चुकी है।

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प्रो. एसके सपोरी ने कहा कि ग्लाइऑक्सलेज एंजाइम सूक्ष्म जीव एवं पशुओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के निदेशक डॉ. एए माओ ने कहा कि भारत में जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। डॉ. नवीन अरोड़ा ने कहा कि सूक्ष्म जीवों के मिश्रण से तैयार जैविक उर्वरक मिट्टी की पोषकता बनाने में सक्षम है। प्रो. राम लखन सिंह सिकरवार ने वृक्ष आयुर्वेद के महत्व बताते हुए ऋषि पराशर को वनस्पतिकी का वास्तविक जनक बताया। डॉ. राकेश पांडे ने कहा कि औषधीय सुगंध पौधों के एंटी-एजिंग गुणों से नूरोडीजेनेरेटिव रोगों के उपचार में व्यापक संभावनाएं हैं। प्रो. सी.मनोहराचारी ने कहा कि सूक्ष्म जीवों पर हमारा अधूरा ज्ञान और शोध है। इसे और व्यापक करने की जरुरत है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ.विधु साने ने कहा कि जड़ों के आर्किटेक्चर में ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर जलवायु परिवर्तन के प्रतिरोधी पौधों के विकास मे सहायक होगा। संयोजक डॉ. जितेंद्र सिंह, सचिव प्रो. सेशु लवानिया, प्रो. शैलेंद्र सिंह गौरव, प्रो. शैलेंद्र शर्मा, प्रो. बिंदु शर्मा, डॉ. लक्ष्मण नागर, नितिन गर्ग, डॉ. दिनेश पंवार, डॉ. अश्विनी शर्मा, डॉ. अजय शुक्ला, डॉ. अमरदीप सिंह, डॉ. प्रदीप पंवार एवं डॉ. अजय कुमार मौजूद रहे।