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भारत को जानना है तो भारतीय भाषाओं को समझें

संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। नासा यह स्वीकार कर चुका है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए दुनिया की समस्त भाषाओं में संस्कृत सबसे उपयुक्त रहेगी। यदि हमें भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा को समझना...

भारत को जानना है तो भारतीय भाषाओं को समझें
हिन्दुस्तान टीम,मेरठTue, 02 Jun 2020 12:22 AM
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संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। नासा यह स्वीकार कर चुका है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए दुनिया की समस्त भाषाओं में संस्कृत सबसे उपयुक्त रहेगी। यदि हमें भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा को समझना है तो भारतीय भाषाओं को समझना होगा। इसमें भी संस्कृत सबसे ऊपर है। अभी हम व्यवहारिक रूप में संस्कृत का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं जबकि हमारा प्राचीन ज्ञान-विज्ञान सभी संस्कृत भाषा में रचित हैं। संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसके व्याकरण से हम करोड़ों शब्द एवं वाक्यों का निर्माण कर सकते हैं।

चौ. चरण सिंह विवि के राजनीति विज्ञान विभाग में कोविड-19 के साथ जीवन: स्वावलंबी भारत की रूपरेखा विषय पर ई-वर्कशॉप में यह बात उत्तराखंड मुक्त विवि हल्द्वानी के प्रो. देवेश मिश्रा ने कही। वहीं, भारतीय भाषा केंद्रीय संस्थान मैसूर के पूर्व निदेशक प्रो.अवधेश मिश्रा ने कहा कि हमें आजादी के बाद ही त्रिस्तरीय भाषा आधारित शिक्षा पद्धति अपनानी चाहिए थी। पश्चिम के देशों ने भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसी नीतियों का निर्माण किया जिससे भारतीय अपनी भाषाओं को भूल जाएं एवं विदेशी भाषाओं को ग्रहण कर लें। प्रो.मिश्रा ने भारतीय भाषाओं को रोजगार परक एवं दक्षता पूर्ण बनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं में सोचना एवं पढ़ना-लिखना प्रारंभ करना होगा।

प्रो.पवन कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय भाषाओं की भारत को एकीकृत एवं स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें इनका सम्मान करना होगा। वर्कशॉप में डॉ.राजेंद्र कुमार पांडे,भानु प्रताप, डॉ.भूपेंद्र प्रताप सिंह, डॉ.सुषमा, डॉ.देवेंद्र उज्जवल, संतोष त्यागी एवं नितिन त्यागी सहित कैंपस-कॉलेजों के शिक्षक एवं रिसर्च स्कॉलर मौजूद रहे।

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