कमांडो और विराट कुंभ गए, पैदल होगी पुलिस की परेड
मेरठ पुलिस लाइन का परेड ग्राउंड गणतंत्र दिवस पर तिरंगे से सजा होगा। खाकी वर्दी पहने जवान हाथों में हथियार लेकर सलामी भी देंगे, लेकिन इस बार कमांडो, विराट और बिपाशा के बिना ही परेड होगी। कारण ये है कि...
मेरठ पुलिस लाइन का परेड ग्राउंड गणतंत्र दिवस पर तिरंगे से सजा होगा। खाकी वर्दी पहने जवान हाथों में हथियार लेकर सलामी भी देंगे, लेकिन इस बार कमांडो, विराट और बिपाशा के बिना ही परेड होगी। कारण ये है कि मेरठ पुलिस के सबसे बेहतरीन घोड़े कमांडो और उनकी टीम के 12 सदस्यों को कुंभ ड्यूटी में इलाहाबाद भेजा जा चुका है। बाकी बचे आठ घोड़ों को परेड की ट्रेनिंग देने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन बात नहीं बन रही। अड़ियल घोड़ों के सामने पुलिस पस्त दिखाई दे रही है और यही कारण है कि परेड में इस बार घुड़सवार पुलिस नहीं रहेगी।
प्रयागराज में कुंभ की सुरक्षा व्यवस्था में मेरठ पुलिस और यहां के घोड़ों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। मेरठ पुलिस लाइन की अश्वशाला में फिलहाल 20 अश्व हैं, जिनमें से 12 को कुंभ की सुरक्षा के लिए प्रयागराज भेजा जा चुका है। हर जिले से इसी तरह से घुड़सवार पुलिस को भेजा गया है। कुंभ आयोजन के लिए उत्तराखंड से भी घुड़सवार बुलाए गए हैं। हालांकि इस बार मेरठ पुलिस लाइन के ग्राउंड में होने वाली परेड इससे प्रभावित रहेगी। दरअसल, मेरठ पुलिस के सबसे बेहतरीन 12 घोड़ों को प्रयागराज भेजा गया है। इनमें कमांडो, विराट और बिपाशा शामिल हैं। ऐसे में परेड में घोड़ों को शामिल करने को लेकर संकट बन गया है। पुलिस लाइन की अश्वशाला में फिलहाल आठ घोड़े हैं और इनमें से ज्यादातर पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं हैं। परेड के लिए इन्हें लाइन के ग्राउंड में लाया भी जा रहा है, लेकिन बात नहीं बन रही है। यही कारण है कि अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस बार की परेड बिना घुड़सवार पुलिस के कराई जाए। ऐसे में किसी भी हादसे की संभावना नहीं रहेगी।
ये टीम गई है प्रयागराज कुंभ
मेरठ से सब इंस्पेक्टर कन्हैया लाल यहां से गई टीम को प्रयागराज में लीड कर रहे हैं। उनके साथ चंद्रपाल और परमेंद्र सिंह भी साथ हैं। इनके साथ 12 घोड़ों को भेजा है, जिनमें कमांडो, विराट, बिपाशा, रैपिड, श्याम, अर्जुन, शहजादा, महक, जौहरी, चंपक, उज्जवल, राजा शामिल हैं।
नहीं हो पाती है सही ट्रेनिंग
मेरठ पुलिस लाइन की अश्वशाला में फिलहाल 20 घोड़े हैं। यहां 25 घोड़ों और इतने ही घुड़सवार पुलिस की जगह है। पुलिस भी कम है और यहीं कारण है कि सही से ट्रेनिंग नहीं हो पाती है। पुलिस विभाग के अधिकारियों की ही मानें तो एक घोड़े को रोजाना ट्रेनिंग कराने के लिए चार से पांच किलोमीटर चलाना जरूरी होता है। हालांकि संख्याबल कम होने के कारण रोजाना घोड़ों की ट्रेनिंग नहीं हो पाती और यही कारण है कि समस्या होती है।
सबसे महंगे कमांडो, शहजादा और बिपाशा
मेरठ पुलिस की अश्वशाला में सबसे महंगा घोड़ा कमांडो, बिपाशा और शहजादा हैं। तीनों को पुलिस में 8 मार्च 2013 को शामिल किया गया और उस समय इसे 87 हजार रुपये में खरीदा गया था। इसके अलावा अर्जुन को 12 मार्च 2014 में 85 हजार रुपये, रैपिड को तीन साल पहले 84 हजार रुपये और श्याम को चार साल पहले 82 हजार रुपये में खरीदा गया था।
मेरठ पुलिस के 12 घोड़ों को कुंभ आयोजन के लिए भेजा गया है। इनके साथ घोड़ों के तीन ट्रेनर भी साथ गए हैं। बाकी घोडों की ट्रेनिंग कराने का प्रयास किया जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि परेड के लिए तैयार किया जा सके।
होरीलाल सिंह, आरआई पुलिस लाइन मेरठ।