रक्त दानवीरों में हेपेटाइटिस, बीमारी से अंजान
हेपेटाइटिस दबे पांव युवाओं को अपना शिकार बना रहा है। जबकि उन्हें इसकी भनक तक नहीं लग रही है। बीते डेढ़ साल में जिला अस्पताल में ऐसे सौ से अधिक...
हेपेटाइटिस दबे पांव युवाओं को अपना शिकार बना रहा है। जबकि उन्हें इसकी भनक तक नहीं लग रही है। बीते डेढ़ साल में जिला अस्पताल में ऐसे सौ से अधिक रक्तदानवीर सामने आ चुके हैं। इनका दिया हुआ रक्त संक्रमित पाया गया। इनके रक्त को प्रयोग से पहले रोगों की जांच हुई तो ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इनमें हेपेटाइटिस की पुष्टि हुई। रक्तकोष इंजार्च डा. कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि ऐसे काफी लोग हैं जो रक्त देने आते हैं लेकिन उन्हें अपनी बीमारी की जानकारी नहीं होती है। ये बीमारी खून के जरिए एक दूसरे में फैल जाती हैं। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा भी काफी अधिक होता है।
50 फीसदी में मिला हेपेटाइटिस-बी
जिला अस्पताल के रक्तकोष की रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं में सबसे अधिक हेपेटाइटिस बी का संक्रमण मिल रहा है। संक्रमित मिले मरीजों में 50 फीसदी हेपेटाइटिस-बी की जद में हैं। अन्य में काला पीलिया और एड्स की पुष्टि हुई है। इसके अलावा अस्पताल में हेपेटाइटिस क्लीनिक में भी इसी वायरस से ग्रस्त मरीजों की संख्या अधिक है। जागरुकता का अभाव और लापरवाही इसकी बड़ी वजह है। वहीं झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज भी इसका एक बड़ा कारण है।
जिला अस्पताल ब्लड बैंक के आंकड़े
वर्ष----हेपेटाइटिस-सी---हेपेटाइटिस-बी----एचआईवी
2021-- 66------------84------12
2022-----25------------30-----03
खतरनाक है हेपेटाइटिस-बी
चिकित्सक बताते हैं कि हेपेटाइटिस के सभी वायरसों में सबसे अधिक खतरनाक हेपेटाइटिस बी है। एक बार संक्रमित होने के बाद जीवनभर शरीर में बना रहता है। समय पर इसका इलाज न करवाया जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है। इसमें सबसे पहले लीवर ख्रराब होता है उसके बाद किडनी और हृदय खराब हो जाते हैं।
ऐसे फैलता है वायरस
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन
- एक ही सूई का बार-बार प्रयोग
- डायलिसिस कराने वाले मरीजों में
- असुरक्षित यौन संबंध
- खून से खून मिलने पर
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खून चढ़ाने से पहले होती है जांच
रक्तकोषों में दान दिए गए रक्त की पहले सभी जांचे की जाती हैं। इनमें एचआईवी, एससीवी यानी हेपेटाइटिस सी और एचबीएसएजी यानी हेपेटाइटिस बी, विडाल और मलेरिया की जांच अनिवार्य हैं। चिकित्सक बताते हैं कि ये बीमारियां रक्त के जरिए शरीर में पहुंचती हैं ऐसे में इनकी जांच करना जरूरी होता है। ऐसे मरीजों की काउंसलिंग भी की जाती है।
-वर्जन
हेपेटाइटिस-बी वायरस खतरनाक होता है। ये युवाओं में काफी तेजी से मिल रही है। कोई गंभीर लक्षण न मिलने की वजह से अधिकतर मामलों में मरीज को इसकी भनक तक नहीं लगती है। हालांकि समय रहते इलाज संभव है।
डा. अंकित, नोडल हेपेटाइटिस क्लीनिक, जिला अस्पताल
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