ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश मेरठपांच साल बाद नीतू हत्याकांड का खुलासा, एक गिरफ्तार

पांच साल बाद नीतू हत्याकांड का खुलासा, एक गिरफ्तार

मुंडाली स्थित रछौती के जंगल में हुई नीतू की हत्या का पुलिस ने पांच साल बाद शनिवार को सनसनीखेज खुलासा कर दिया। भाई की हत्या का बदला लेने के लिए युवक ने अपने साथियों संग मिलकर नीतू की हत्या की थी।...

पांच साल बाद नीतू हत्याकांड का खुलासा, एक गिरफ्तार
हिन्दुस्तान टीम,मेरठSun, 10 Sep 2017 02:13 AM
ऐप पर पढ़ें

मुंडाली स्थित रछौती के जंगल में हुई नीतू की हत्या का पुलिस ने पांच साल बाद शनिवार को सनसनीखेज खुलासा कर दिया। भाई की हत्या का बदला लेने के लिए युवक ने अपने साथियों संग मिलकर नीतू की हत्या की थी। पूछताछ में हत्यारोपी ने पांच अन्य साथियों के नाम भी बताए हैं, जिन्हें पुलिस तलाश रही है। 29 जुलाई 2013 को रछौती के जंगल में एक युवक की सड़ी-गली लाश मिली थी। पहचान पत्र और मोबाइल नंबर के आधार पर उसकी शिनाख्त मेघराजपुर निवासी नीतू के रूप में हुई थी। परिजनों ने गांव के इस्लामुद्दीन समेत पांच युवकों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। मगर पुलिस शव की डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई करना चाहती थी। रिपोर्ट के चक्कर में मुंडाली थाने में पूर्व में तैनात रहे थानेदार इस फाइल को दबाए बैठे रहे और एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। मुंडाली एसओ राजेंद्र त्यागी ने बताया कि उन्होंने मुख्य आरोपी इस्लामुद्दीन को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो सारा घटनाक्रम उगल दिया। इस्लामुद्दीन ने गांव के ही डॉ. शराफत, यामीन, नफीस, नौशाद और इशरत के साथ मिलकर हत्या को अंजाम देना कुबूल किया। इस्लामुद्दीन ने बताया कि उसकी लकड़ी की टाल पर मृतक नीतू के पिता छोटेलाल, गूंगा नौकरी करते थे। वहीं पर उसका भाई इकरामुद्दीन भी रहता था। वर्ष 2013 में ही शराब के नशे में गूंगा ने इकरामुद्दीन के सिर में डंडा मार दिया। जिससे इकरामुद्दीन की मौत हो गई। इस मामले में गूंगा व छोटेलाल जेल गए थे। छोटेलाल की पैरवी कर रहे उसके सौतेले बेटे नीतू पर हमले में नौशाद व नफीस भी कुछ दिन तक जेल में रहे थे। जेल से बाहर आने के बाद सभी छह युवकों ने नीतू की हत्या का प्लान बनाया। 29 जुलाई 2013 को उन्होंने नीतू की उस वक्त हत्या कर दी थी, जब वह मेडिकल से दवाई लेकर पैदल गांव जा रहा था। गला दबाकर हत्या करने के बाद आरोपियों ने शव को तेजाब से जला दिया था। विवेचना मोड़ने का प्रयास पूर्व के थानेदारों ने डीएनए रिपोर्ट के चक्कर में इस केस की फाइल दबा रखी थी। पूर्व एसओ मोहन सिंह ने पूरी विवेचना ही मोड़ दी। उन्होंने इस फाइल को यह कहकर दबा दिया कि जब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं होगा। यदि वे एक भी आरोपी से कड़ाई से पूछताछ कर लेते तो शायद यह मामला पांच साल पहले ही खुल जाता।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें