गंगा में गिनी जाएंगी डॉल्फिन
गंगा नदी में डॉल्फिन को बचाने के लिए वन विभाग ने डॉल्फिन के सेंसस करने का फैसला लिया है। हस्तिनापुर सेंचुरी और नरोरा रामसर साइट क्षेत्र में ये सेंसस गंगा नदी ही नहीं बल्कि गंगा की सहायक नदियों में भी...
गंगा नदी में डॉल्फिन को बचाने के लिए वन विभाग ने डॉल्फिन के सेंसस करने का फैसला लिया है। हस्तिनापुर सेंचुरी और नरोरा रामसर साइट क्षेत्र में ये सेंसस गंगा नदी ही नहीं बल्कि गंगा की सहायक नदियों में भी होगा। गणना दस अक्तूबर को बिजनौर से शुरू होगी और 15 अक्तूबर तक जारी रहेगी। अधिकारियों की मानें तो डॉल्फिन तेजी से विलुप्त होने वाली प्रजाति है। जिसे बचाना काफी जरूरी है। देशभर में भले ही डॉल्फिन की संख्या घट रही है, लेकिन यहां इनकी संख्या बढ़ रही है।
मेरी गंगा मेरी डॉल्फिन अभियान के तहत विश्व प्रकृति निधि भारत और उत्तर प्रदेश वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एचएसबीसी के सहयोग से डॉल्फिन गणना का कार्य होगा। इसका उद्देश्य बिजनौर बैराज से नरौरा के बीच डॉल्फिन गणना बैराज से दस अक्तूबर से शुरू होगी। जो 15 अक्तबूर नरौरा बैराज पर समाप्त होगी।
वन अधिकारियों की मानें तो इस सेंसस का मुख्य मकसद यह है कि एक तो डॉल्फिन के डाटाबेस पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। दूसरा ये है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में रह रही डॉल्फिन को रहने लायक वातावरण करने में मदद मिलेगी। वहीं तीसरा कारण ये है कि इस सर्वे से नदियों में रहे दूसरे जंतुओं के बारे में जानकारी मिलेगी। अधिकारियों के अनुसार गंगा में कई ऐसे जंतु हैं जिनके बारे में सभी को जानकारी नहीं है।
डॉल्फिन की संख्या 3000 रह गई
मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा एक रिपोर्ट के हवाले से बताते हैं कि किसी समय में बहुतायत में पाई जाने वाली गांगेय डॉल्फिन की संख्या घटकर केवल 3000 रह गई। इसके वितरण का क्षेत्र भी सिकुड़ता जा रहा है। इसके मुख्य कारण प्रतिदिन हमारी नदियों का घटता जलस्तर और प्रदूषण है। वर्तमान में गांगेय डॉल्फिन भारत, नेपाल और बांग्लादेश के गंगा-ब्रह्मपुत्र, मेघना एवं करनाफुल्ली नदी में पाई जाती है। गांगेय डॉल्फिन का 80 प्रतिशत क्षेत्र भारत की सीमा में आता है। गंगा नदी के समीप रहने वाले समुदाय गांगेय डॉल्फिन को गंगा मैया की गाय मानते हैं और इसका सम्मान करते हैं। जानकारों की मानें तो लगातार पॉल्यूशन बढ़ने के कारण डॉल्फिन के जीवन में काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अगर अनुमानित आंकड़े की बात करें तो पूरी गंगा में 3000 के करीब डॉल्फिन हैं।
गंगा में बढ़ रहा डॉल्फिन का कुनबा
बिजनौर-गढ़मुक्तेश्वर (हस्तिनापुर वन्य जीव विहार)
2015 - 11
2016 - 13
2017 - 17
गढ़मुक्तेश्वर-नरौरा (नरौरा रामसर साइट)
2015 - 11
2016 - 17
2017 - 15
डॉल्फिन की संख्या का पता चलेगा
पश्चिमी यूपी में बिजनौर से बुलंदशहर के बीच करीब 207 किलोमीटर की गंगा पर गणना की जाएगी। जिसे पांच दिन में पूरा किया जाएगा। गणना कार्य के बाद गंगा में डॉल्फिन की मौजूदा स्थिति और संख्या की जानकारी मिलेगी।
ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक
राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा प्राप्त है डॉल्फिन को
डॉल्फिन को देश में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कानूनी संरक्षण के साथ-साथ राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा भी प्राप्त है। यह जीव हमारे राष्ट्र की धरोहर है। अत: इसके संरक्षण में सहयोग करना हमारा कर्तव्य है।
अदिति शर्मा, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग