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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पास जमीन खरीदने पर पाबंदी

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत जमीन में 25 करोड़ के घोटाले का खुलासा होने के बाद दोनों एक्सप्रेस-वे की अधिसूचित जमीन की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगा दी गई। इस...

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पास जमीन खरीदने पर पाबंदी
हिन्दुस्तान टीम,मेरठWed, 22 Nov 2017 01:06 AM
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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत जमीन में 25 करोड़ के घोटाले का खुलासा होने के बाद दोनों एक्सप्रेस-वे की अधिसूचित जमीन की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगा दी गई। इस संबंध में मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। अब अधिसूचित जमीन को खरीदने और बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे लिए डासना, रसूलपुर सिकरोड़, कुशलिया, नाहल, नूरपुर और डिवाई गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया, जबकि ईस्टर्न पेरिफेरल हाईवे के लिए नौ गांव के किसानों की जमीन ली गई। साल 2008 और 09 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे लिए नोटिफिकेशन किया गया।

शासनादेश के अनुसार इसके बाद संबंधित जमीन के खसरों की रजिस्ट्री पर रोक लग जाती है। तहसील ऐसी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करा सकता, लेकिन नोटिफिकेशन के बाद कुछ किसानों से जमीन खरीदी गई। इस मामले में रिटायर्ड आईएएस रनवीर सिंह ने बेटे दीपक सिंह और पुत्रवधू दिव्या के नाम पर जमीन का बैनामा कराकर 15 करोड़ का मुआवजा लिया।

गाजियाबाद में तैनात रहे एडीएम एलए घनश्याम सिंह के बेटे शिवांग राठौर ने भी 5.81 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा लिया। अमीन संतोष ने पत्नी के नाम पर बैनामे कराए। इसके अलावा अन्य बैनामे भी कराए गए। इस तरह 25 करोड़ के मुआवजे में खेल किया गया।

घोटाला सामने आने के बाद मंडलायुक्त ने दोनों एक्सप्रेस वे के लिए अधिसूचित सभी 15 गांवों की जमीन के खरीद फरोख्त पर पाबंदी लगा दी है। इस बाबत कमिश्नर ने जिला प्रशासन और रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया है। ऐसा होने से मुआवजे में आगे खेल नहीं हो सकेगा। इस बाबत सदर और मोदीनगर तहसील के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया।

धारा-3 डी के बाद खरीदे गए थे खसरे

धारा-3डी के बाद किसानों को गुमराह कर उन खसरों को खरीदा गया, जहां से दोनों एक्सप्रेसवे निकल रहे हैं। इसके बाद आरोपियों ने प्रशासन से सात गुणा तक मुआवजा अधिक लिया। स्टांप विभाग के पास भी कोई जानकारी नहीं थी। ऐसा घोटाले फिर न हो, इसके लिए प्रशासन ने मंडलायुक्त के आदेश के बाद स्टांप विभाग को अब सभी खसरों की जानकारी उपलब्ध करा दी है।

इस तरह लिया मुआवजा

- 6 करोड़ 8 लाख 257 रुपये का मुआवजा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने लिया

- 6 करोड़ 12 लाख रुपये का मुआवजा सेवानिवृत्त अधिकारी की पुत्रवधू ने लिया

- 2 करोड़ 37 लाख रुपये रिटायर्ड अधिकारी के बेटे ने लिए

- 5 करोड़ 81 लाख 526 रुपये का मुआवजा पीसीएस के बेटे ने लिया

- अन्य रकम इस मामले में शामिल गवाहों ने भी हड़पी

अमीन और एडीएम एलए हो चुके निलंबित

इस मामले में पीसीएस अधिकारी घनश्याम सिंह का बेटा शिवांग राठौर भी शामिल है। शिवांग ने पांच करोड़ रुपये का खेल किया। इस मामले में शासन ने एडीएम एल घनश्याम सिंह को निलंबित कर दिया। वहीं अमीन संतोष कुमार का भी मुख्य किरदार है। अमीन की पत्नी ने 44 लाख का मुआवजा लिया। अमीन को इस मामले में निलंबित कर दिया गया है।

सीबीआई जांच कराने की मांग

कमिश्नर ने इस मामले की जांच कराने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी। उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की, ताकि इसमें शामिल अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सके। इस मामले में गाजियाबाद में रह चुके दो पूर्व जिलाधिकारी भी फंस रहे हैं, लेकिन उन पर अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।

प्रथम चरण का काम पूरा

दिल्ली के निजामुद्दीन से यह एक्सप्रेसवे निकल रहा है। प्रथम चरण में निजामुद्दीन से यूपी गेट, दूसरे चरण में यूपी गेट से डासना और तीसरे चरण में डासना से मेरठ तक का निर्माण कार्य किया जाना है। पहले चरण का काम लगभग पूरा हो गया है।

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मंडलायुक्त ने दोनों एक्सप्रेसवे के लिए अधिसूचित जमीन की खरीद फरोख्त की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी। हाईवे के पास किसी भी खसरों की रजिस्ट्री नहीं की जाएगी।

-मेवालाल पटेल एआईजी स्टांप, गाजियाबाद

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