विकलांग भर्ती घोटाले में जांच करेगी एसआईटी
नगर निगम विकलांग भर्ती अनियमितता और भर्ती घोटाले की जांच अब एसआईटी या क्राइम ब्रांच की टीम करेगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। मेरठ के देहली गेट थाने में दर्ज दो साल पुराने इस मामले में अभी तक...
नगर निगम विकलांग भर्ती अनियमितता और भर्ती घोटाले की जांच अब एसआईटी या क्राइम ब्रांच की टीम करेगी। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। मेरठ के देहली गेट थाने में दर्ज दो साल पुराने इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। ज्यादातर अधिकारी आला पदों पर तैनात है और इनके खिलाफ कार्रवाई करने में लेकर दरोगा स्तर का पुलिसकर्मी असमर्थ दिख रहा है। ऐसे में पुलिस अधिकारी अब इस मामले में केस को अंतिम दिशा देने और एक्शन लेने के लिए एसआईटी गठित करेंगे।
मेरठ के देहली गेट थाने में नगर निगम विकलांग भर्ती घोटाले और अनियमितताओं को लेकर वर्ष 2015 में एक मुकदमा दर्ज कराया गया। इस मुकदमे की तहरीर तत्कालीन नगर आयुक्त अब्दुल समद ने दी थी। दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 13/15 में पुलिस ने नगर निगम के तत्कालीन मुख्य वित्त लेखाधिकारी मोइनुद्दीन, नगर निगम के मुख्य नगर लेखाधिकारी सच्चिदानंद त्रिपाठी, तत्कालीन नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. राजवीर सिंह, तत्कालीन अपर जिलाधिकारी श्रीराम गोपाल, तत्कालीन सीएमओ मेरठ, तत्कालीन सीएमओ गाजियाबाद, तत्कालीन सीएमओ संतरविदासनगर, तत्कालीन सीएमओ भदोही को धोखाधड़ी, साजिश, कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग करने का आरोपी बनाया गया। इस प्रकरण में कुछ समय तक जांच देहली गेट थाने में तैनात दरोगा करते रहे। बाद में जांच में सबूत जुटाने से लेकर बाकी काम में दरोगा को परेशानी होने लगी। इसी दौरान विवेचक को ट्रांसफर हो गया। अब नए विवेचनाधिकारी ने इस प्रकरण में एसएसपी को पत्र भेज दिया है। बताया गया है कि नियमानुसार आरोपी चूंकि उनसे ज्यादा बड़े पदों पर तैनात हैं, ऐसे में जांच क्राइम ब्रांच में सीओ या एसपी स्तर के अधिकारी से कराई जाए। या फिर जांच के लिए एसआईटी गठित की जाए। नियमावली का हवाला भी दिया गया है। ऐसे में इस प्रकरण में सीओ के नेतृत्व में एसआईटी गठित करने के लिए निर्देश दिया गया है।