विद्या और सुख का है आपसी संबंध: प्रो.रमेश चंद
विद्या विनय प्रदान करती है और विनय से पात्रता मिलती है। पात्रता से धन प्राप्त होते हैं और धन से धर्म का कार्य किया जाता है। इस सभी कामों से सुख की प्राप्ति होती है। विद्या और सुख का आपसी संबंध है।...
विद्या विनय प्रदान करती है और विनय से पात्रता मिलती है। पात्रता से धन प्राप्त होते हैं और धन से धर्म का कार्य किया जाता है। इस सभी कामों से सुख की प्राप्ति होती है। विद्या और सुख का आपसी संबंध है। शिक्षा का मतलब मनुष्य के व्यक्तित्व के समग्र विकास से है।
नीति आयोग के सदस्य एवं मुख्य अतिथि प्रो.रमेश चंद ने मेधावियों से यह बात कही। उन्होंने महात्मा गांधी के हवाला देते हुए कहा कि जो शिक्षा चरित्रवान ना बना सके, मन-इंद्रियों को वश में रखने में सक्षम ना बना सके, आत्मविश्वास न उत्पन्न कर सके, स्वावलंबी न बना सके, उस शिक्षा में चाहे जितनी जानकारी का भंडार, तार्किक विशेषता अथवा पांडित्य हो, वह अपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्ष्ज्ञा से ज्ञान की प्राप्ति होती है जो हमें अधंकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। विद्या से ही मानव समाज का सर्वांगीण विकास संभव है। प्रो.रमेश चंद ने मेधावियों से स्व से ऊपर उठकर लोक कल्याण के लिए काम करने कर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मेधावी अपनी प्रतिभा एवं परिश्रम देश एवं समाज के विाकस एवं उत्थान में लगाए।