दलितों ने समझी एससी-एसटी एक्ट में संशोधन की बारीकियां
पुलिस लाइन सभागार में बुधवार को आयोजित कार्यशाला में दलितों ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन की बारीकियों को समझा। पुलिस अफसरों ने उन्हें बताया कि एक्ट में संशोधन के बाद सजा के प्रावधान और मजबूत किए गए...
पुलिस लाइन सभागार में बुधवार को आयोजित कार्यशाला में दलितों ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन की बारीकियों को समझा। पुलिस अफसरों ने उन्हें बताया कि एक्ट में संशोधन के बाद सजा के प्रावधान और मजबूत किए गए हैं। पीड़ितों की सहायता राशि में बढ़ोतरी की गई है। बता दें कि इसी संशोधन को लेकर दो अप्रैल को मेरठ सहित कई शहरों में हिंसा हुई थी।
कार्यशाला में अभियोजन के संयुक्त निदेशक जेडी मिश्र ने एक्ट के प्रावधानों, संशोधनों की जानकारी दी। उन्होंने लोगों की शंकाओं और प्रश्नों का भी जवाब दिया। मिश्र ने कहा कि अभी तक एससी-एसटी के मुकदमों में 90 दिन के भीतर चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत करने का प्रावधान था। नए एक्ट में यह विवेचना 60 दिन के भीतर पूरी करनी होगी। यदि निर्धारित समय में विवेचना नहीं हुई तो सीओ को स्पष्टीकरण देना होगा। अब एससी-एसटी के मामलों की विवेचना प्रारंभ से ही सीओ स्तर के अधिकारी करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि एससी-एसटी के मामलों में थानेदारों को पीड़ितों की तहरीर पर तुरंत मुकदमा दर्ज करना होगा। यदि उन्होंने मुकदमे में देरी की और पीड़ित की शिकायत पर कराई गई जांच में इसकी पुष्टि हुई तो थानेदार पर भी अभियोजन चल सकता है। इसमें थानेदार पर आरोप सिद्ध होने पर उसे एक साल तक की जेल भी हो सकती है। उन्होंने बताया, एससी-एसटी एक्ट की धारा-3 में 15 क्लॉज से बढ़ाकर 29 क्लॉज कर दिए गए हैं। दंड का वर्गीकरण भी स्पष्ट कर दिया है। धाराओं में सार्वजनिक स्थान का महत्व बताया है।
एसपी देहात राजेश कुमार ने सभी सीओ और विवेचकों से कहा कि वे संशोधित एससी-एसटी अधिनियम के अनुसार कार्रवाई करें। किसी प्रकार की कोताही न बरतें। बैठक में सीओ रामअर्ज, पंकज कुमार सिंह, दिनेश शुक्ला, हरिमोहन सिंह सहित सभी थानेदार मौजूद रहे। इसके अलावा सभी थाना क्षेत्रों से दलित समाज के पांच-पांच व्यक्ति भी कार्यशाला में पहुंचे।