सम्मेद शिखर सिद्ध की वंदना करने से दूर होते हैं रोग : ज्ञेय सागर
Meerut News - जगदीश मंडप में समवशरण विश्व शांति महायज्ञ का शुक्रवार को समापन हुआ। इसमें जिनेंद्र भगवान का अभिषेक और शांतिधारा की गई। 2 जुलाई को गिरनार पर्वत पर भगवान नेमिनाथ का निर्वाण महोत्सव मनाने के लिए पदयात्रा...

जगदीश मंडप में चल रहे समवशरण विश्व शांति महायज्ञ विधान का शुक्रवार को समापन हुआ। विधान में दस पूजा कराई गई। जिनेंद्र भगवान का अभिषेक और शांतिधारा की गई। विधान में आगामी दो जुलाई को गिरनार पर्वत पर भगवान नेमिनाथ का निर्वाण महोत्सव मनाने के लिए दिल्ली से गिरनार तक पदयात्रा का आवाहन किया। रुचि जैन ने सभी महिलाओं को गिरनार यात्रा का निमंत्रण दिया। बाल ब्रह्मचारी पंडित जयकुमार निशांत को तिलक और अंग वस्त्र पहनाकर स्वागत किया गया। विधान में जैन मुनि नियोग सागर महाराज ने प्रवचन में कहा कि चौदह अतिशयों में सुगंधित जल वृष्टि भी एक अतिशय है। समवशरण में जिस स्थान पर भगवान विराजित होते हैं उसे गंध कुटी कहते हैं। सामूहिक रूप से समवशरण में बैठने से सामूहिक पुण्य का बंद होता है जो सामूहिक मोक्ष का कारण भी बनता है।
आचार्य ज्ञेय सागर महाराज ने कहा मानव जीवन अनमोल है इसमें धर्म व्रत और संयम से ही कर्मों की निर्जरा होती है। सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की वंदना करने से शरीर के बड़े-बड़े रोग स्वयं दूर हो जाते हैं। विधान में विधानाचार्य मनोज शास्त्री ने धार्मिक्र क्रियाओं को संपन्न कराया। प्रशांत जैन ने भजन प्रस्तुत किए। संजय कलश, वीरेंद्र जैन, सुनील जैन प्रवक्ता, प्रवीन जैन, अजय जैन, आलोक जैन, अभिनव जैन आदि मौजूद रहे।
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