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मेरठ के वयोवृद्ध कारसेवक को चंपत राय ने भेजा निमंत्रण

अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन में देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां इकट्ठा होंगी। इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने श्रीराम मंदिर आंदोलन...

मेरठ के वयोवृद्ध कारसेवक को चंपत राय ने भेजा निमंत्रण
हिन्दुस्तान टीम,मेरठTue, 04 Aug 2020 03:22 AM
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अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन में देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां इकट्ठा होंगी। इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने श्रीराम मंदिर आंदोलन के वयोवृद्ध कारसेवक मानसरोवर निवासी रंजीत सिंह को भी बुलावा भेजा है। अधिक आयु और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने फोन पर अयोध्या जाने से मना कर दिया है। हालांकि परिजनों का कहना है कि वे दिल से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भावना से जुड़े हैं।

मानसरोवर निवासी 101 वर्षीय रंजीत सिंह के पुत्र अशोक कुमार बताते हैं कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय श्रीराम मंदिर आंदोलन में उनके साथ रहे। मेरठ सहित वेस्ट यूपी में राम मंदिर आंदोलन को उन्होंने खड़ा किया था। आंदोलन के समय रंजीत सिंह विहिप के मेरठ प्रांत के उपाध्यक्ष थे और इस समय विहिप के प्रांत संरक्षक का दायित्व है। श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने के लिए खुद चंपत राय ने उन्हें फोन करके आमंत्रित किया है। स्वास्थ्य कारणों और अधिक आयु होने के कारण उन्होंने अयोध्या के कार्यक्रम में शामिल होने में असमर्थता जताई है।

वैसे अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की बात सुनकर रंजीत सिंह की आंखें चमक उठती है। 1992 जैसा जोश दिख रहा है। वह अब भी हर दिन जोर-जोर से श्रीराम का नारा लगाते हैं। श्रीराम मंदिर आंदोलन में शामिल होकर वाले रंजीत सिंह धीरे-धीरे कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी उनके मित्र रहे। 1990 से लेकर 1992 तक उन्हें तीन बार जेल जाना पड़ा।

भगवान राम में आस्था इतनी कि कहा नहीं जा सकता

उनके पुत्र अशोक कुमार बताते हैं कि श्रीराम के प्रति रंजीत सिंह की आस्था इतनी गहरी है कि कहा नहीं जा सकता। वह 15 साल पहले 86 वर्ष की आयु में भी परिजनों को बिना बताए अयोध्या के लिए चले जाते थे। विहिप के वरिष्ठ नेता उनका ट्रेन का टिकट खुद ही करवा दिया करते थे। परिजनों को बाद में इसका पता चलता था कि वे अयोध्या चले गए।

1972 में राजनीति में आए और 1977 में छोड़ दी

आरएसएस और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े रंजीत सिंह 1972 में जनसंघ के वरिष्ठ नेता मोहनलाल कपूर के माध्यम से सक्रिय राजनीति में पदार्पण किया। आपातकाल के समय वह जनसंघ के जिला कोषाध्यक्ष और ब्रह्मपाल सिंह जिलाध्यक्ष थे। आपातकाल लगते ही पुलिस उनके पीछे लग गई और वह बचते रहे। बाद में सत्याग्रह करते हुए गिरफ्तार हुए। आपातकाल समाप्त होने पर जनता पार्टी की सरकार बनी तो सक्रिय राजनीति छोड़ दी।

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