यूजी या पीजी में हैं नंबर कम तो श्रेणी सुधारने का मौका
स्नातक में कम अंकों के चलते श्रेणी में फंसे छात्र-छात्राओं ने यदि नेट या पीएचडी पास कर लिया है तो वे चौ.चरण सिंह विवि की परीक्षाओं में अपनी डिविजन में सुधार कर सकते हैं। पीजी में कम अंकों को बेहतर...
स्नातक में कम अंकों के चलते श्रेणी में फंसे छात्र-छात्राओं ने यदि नेट या पीएचडी पास कर ली है तो वे चौ.चरण सिंह विवि की परीक्षाओं में अपनी डिविजन में सुधार कर सकते हैं। पीजी में कम अंकों को बेहतर करने के लिए नेट या पीएचडी की जरुरत नहीं है। दोनों स्तरों पर छात्रों को अधिकतम दो वर्ष के भीतर ही श्रेणी सुधारने का अवसर मिलेगा। ऐसे में जो स्टूडेंट श्रेणी सुधार (डिविजन इंप्रूवमेंट)की योग्यता रखते हैं वे चार जनवरी से विवि के परीक्षा फॉर्म भर सकते हैं।
विवि के यूजी रेगुलर-प्राइवेट और पीजी प्राइवेट के परीक्षा फॉर्म चार जनवरी से ऑनलाइन होने जा रहे हैं। इनके साथ ही डिविजन इंप्रूवमेंट के फॉर्म भी प्रस्तावित हैं। विवि के अनेक छात्र ऐसे हैं जिनकी यूजी में तृतीय या द्वितीय श्रेणी है और पीजी के बाद नेट या पीएचडी भी कर चुके हैं, लेकिन यूजी में कम अंक होने से ये उच्च शिक्षा में आवेदन नहीं कर पा रहे। इसी तरह हजारों छात्र ऐसे हैं जो पीजी में 55 फीसदी नंबर स्कोर नहीं कर सके। इसके चलते वे नेट या पीएचडी एंट्रेंस के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे। विवि के अनुसार इन दोनों तरह के स्टूडेंट के पास अपनी श्रेणी सुधारने का मौका है। यूजी में केवल वही स्टूडेंट श्रेणी सुधार के पेपर दे सकते हैं जिन्होंने नेट, स्लेट, एमफिल या पीएचडी कर ली है और अभी दो वर्ष नहीं हुए हैं। इसी तरह पीजी फाइनल की परीक्षा देने के अधिकतम दो वर्ष के अंदर पीजी स्टूडेंट भी किसी एक वर्ष के समस्त पेपर देते हुए श्रेणी सुधार कर सकते हैं। पीजी में केवल प्राइवेट स्टूडेंट के लिए ही यह सुविधा उपलब्ध है। सीसीएसयू के अनुसार श्रेणी सुधार के लिए अर्हता की अवधि अधिकतम दो वर्ष ही है।