कोरोना के चलते पुस्तकों की बिक्री में 70 फीसदी गिरावट
कोविड महामारी का पुस्तक विक्रय क्षेत्र पर क्या दुष्प्रभाव हुआ इस पर ऑनलाइन वेबिनार हुआ। इसमें पांच राज्य दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के पुस्तक विक्रेता संगठनों के...
कोविड महामारी का पुस्तक विक्रय क्षेत्र पर क्या दुष्प्रभाव हुआ इस पर ऑनलाइन वेबिनार हुआ। इसमें पांच राज्य दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के पुस्तक विक्रेता संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।
संयोजक अनुज गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण तथा लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। साथ ही प्रकाशन उद्योग और पुस्तक विक्रय क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है। कहा कि विद्यालयों का खुलना अनिश्चित है। ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षक कठिन परिश्रम कर छात्रों को पढ़ा रहे हैं। लॉकडाउन व कोविड संक्रमण के कारण अधिकतर अभिभावकों ने इस बार पुस्तकें, उत्तर पुस्तिकाएं, स्टेशनरी नहीं खरीदी या आंशिक और अति आवश्यक सामान की ही खरीदारी की।
उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए मेरठ बुक सेलर एसोसिएशन अध्यक्ष आशीष धस्माना ने बताया कि पुस्तक विक्रेताओं द्वारा सिंतबर-अक्तूबर से अगले शैक्षणिक सत्र की तैयारी की जाती है। 22 मार्च के पश्चात उत्तर प्रदेश के समस्त विद्यालयों के परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद बिक्री आरंभ होनी थी, जो लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाई। आज भी गोदामों में 50 प्रतिशत माल बिना बिक्री का रखा है। एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय और राज्य सरकारों से अप्रैल में बार- बार निवदेन किया और ज्ञापन दिए की पुस्तकों को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में सूचीबद्ध कर वितरण करवाने की व्यवस्था की जाए परंतु मांग को लंबित रखा। इस कारण जहां छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हुआ वहीं विक्रेताओं को आर्थिक हानि हुई। पुस्तकों की बिक्री में 70 फीसदी तक गिरावट आई है।
महाराष्ट्र एसोसिएशन से जुड़े प्रदीप जे विक्रम ने महाराष्ट्र में प्रबल कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण विक्रेताओं के नुकसान पर चिंता जाहिर की। दिल्ली राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए सुभाष शर्मा, राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते रवि अग्रवाल, गुजरात प्रतिनिधि नीरव शाह ने बताया कि काफी पुस्तकें आज भी गोदामें में रखी हैं। वेबिनार में सरकार से मांग की कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में सरकार को पुस्तक विक्रेताओं को राहत पैकेज के रूप में तत्काल ब्याज मुक्त ऋण देना चाहिए।