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लाल निशान की ओर बढ़ा घाघरा नदी का जलस्तर

घाघरा नदी का जलस्तर एक बार फिर तेजी के साथ खतरे के लाल निशान की ओर बढ़ने लगा...

लाल निशान की ओर बढ़ा घाघरा नदी का जलस्तर
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,मऊThu, 25 Aug 2022 12:20 AM
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दोहरीघाट। घाघरा नदी का जलस्तर एक बार फिर तेजी के साथ खतरे के लाल निशान की ओर बढ़ने लगा है। घाघरा का जलस्तर लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी 24 घण्टे में 15 सेमी की वृद्धि कर खतरे के निशान से मात्र 80 सेमी नीचे है। इससे तटीय क्षेत्रों के ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ गई हैं। बढ़ते जलस्तर के बीच लोहड़ा देवारा में नदी कटान भी तेजी से कर रही है। नवली के समीप ठोकर नंबर एक पर नदी की उफान तेज है। नदी के तटवर्ती इलाकों में घाघरा के बढ़ते जलस्तर से लोग काफी सहमे में हुए हैं। इस समय नदी की लहरें उग्र रूप धारण कर चुकी है।

दोहरीघाट कस्बे को घाघरा के रौद्र रूप से बचाने के लिए सिचाई विभाग द्वारा बोल्डरों को कटान वाले क्षेत्रों में डाला जा रहा है। वहीं नदी के बढ़ते जलस्तर के बाद सिचाई विभाग के हाथ-पांव फूल चुके हैं। घाघरा के जलस्तर पर नजर डाले तो मंगलवार की शाम तक घाघरा का जलस्तर 68.95 मीटर था। जो शुक्रवार को 15 सेमी बढ़कर 69.10 मीटर हो गया। नदी खतरा बिंदु 69.90 मीटर से मात्र 80 सेमी नीचे बह रही है। नदी के रुख से नगर की ऐतिहासिक धरोहरों मुक्तिधाम, भारत माता मंदिर,खाकी बाबा की कुटी,रामजानकी मंदिर,दुर्गा मंदिर,शाही मस्जिद,हनुमान मंदिर,लोक निर्माण का डाक बंगला आदि पर खतरा मंडराने लगा है। भारत माता मंदिर के पास नदी तेज धारा संग बेरोकलिंग कर रही है, जिससे भारत माता मंदिर पर कटान का खतरा मंडराने लगा है। डोमराज के घर के पास नदी में गिर रहे नाले के पास सुरक्षा में लगाए गए बोल्डर खिसकने लगे हैं। रामजानकी मन्दिर के घाट की सीढ़ियां पूरी तरह से डूब चुकी हैं, जिससे स्नान करने वालों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। घाघरा की नवली व परमहंस बाबा कुटी के समीप रफ्तार काफी तेज है। इससे तटवर्ती इलाकों में कटान की संभावना बढ़ गई है। एक बार कटान जलस्तर बढ़ने पर होती है और दूसरी बार कटान जलस्तर घटने पर होती है। जिस तरह से घाघरा का जलस्तर बढ़ रहा है उससे लग रहा है कि जल्द घाघरा नदी लाल निशान को छू लेगी। घाघरा की प्रलयंकारी विभीषिका देख चुके लोगों में दहशत का माहौल है। इसलिए वह अपने ठिकानों की तलाश में जुट गए हैं।इसके अलावा सिचाई विभाग के लिए घाघरा का तटवर्ती इलाका बाढ़ कटान के समय चुनौती साबित हो सकता है।

1998 में रिकार्ड 71.27 पर पहुंचा था जलस्तर

दोहरीघाट। सन 1998 की बाढ़ में भीषण तबाही मची थी।वहीं घाघरा का जलस्तर रिकार्ड 71.27 मीटर पर पहुंच गया था। जिसमें जगह-जगह रिंग बन्धे टूट गये थे। सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया था। लोग गांवों से पलायन कर दूसरे जगह सहारा लेने को मजबूर हो गये थे। भीषण जन धन की हानि हुई थी। इस बार भी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे लोग सन 1998 याद कर भयभीत नजर आ रहे हैं। आगे क्या होगा राम जाने। घाघरा का जलस्तर तेजी से बढ़ने को लेकर अब कस्बेवासियों की नींदे हराम हो गयी हैं। कस्बे के चमरौटी वार्ड, मल्लाह टोला, भगवान पुरा में बाढ़ का पानी घुसने को लेकर कस्बे वासियों में दहशत व्याप्त है।

कटान रोकने का मुक्कम्मल इंतेजाम न होने से रोष

दोहरीघाट। घाघरा नदी के तटवर्ती रामनगर, नईबाजार, नवली, चिऊटीडाढ़, सरहरा, परमहंस बाबा कुटी सहित आदि क्षेत्रों में हो रही कटान को रोकने के लिए बाढ़ खण्ड आजमगढ़ द्वारा उचित समाधान नहीं किए जाने से लोगों में भरी आक्रोश है। संजय कुमार, रोहित, अविनाश, अजय, राममिलन, ज्ञानप्रकाश, अरविन्द, अखिलेश, सुनील सहित आदि ने कहा कि किसानों की हजारों एकड़ जमीन नदी में विलीन हो गई है। लेकिन बाढ़ खण्ड आजमगढ़ ने कटान रोकने के लिए अभी तक कोई भी प्लान नहीं बनाया है। लोगों ने मांग किया है कि कटान रोकने के लिए उचित समाधन किया जाय ,जिससे किसानों की नदी में विलीन हो रही जमीन की बचाया जा सके।

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